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मंत्री रहे श्याम रजक के विभाग में सचिव के ऊपर प्रधान सचिव को बिठाकर कर दिया सेट,पढ़िए इनसाइड स्टोरी

मंत्री रहे श्याम रजक के विभाग में सचिव के ऊपर प्रधान सचिव को बिठाकर कर दिया सेट,पढ़िए इनसाइड स्टोरी

patna : जून 2009 में श्याम रजक लालू प्रसाद को छोड़कर नीतीश कुमार को अपना लिया था। इसके बाद उन्हें मान सम्मान के साथ राष्ट्रीय संगठन का महासचिव बनाया गया और साथ ही 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू की तरफ से जमुई लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया।, हालांकि वे हार गए। बाद में 2010 के विधानसभा चुनाव में फुलवारी से चुनाव लड़ कर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। लेकिन अब पासा पलट गया है।जदयू ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है और CM नीतीश ने मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया है।अब श्याम रजक एक बार फिर से लालू के पाले में जाने  वाले हैं।

बता दें कि 2010-15 के चुनाव में एक वीडियो वायरल होने के बाद से ही श्याम रजक जदयू नेतृत्व के निशाने पर आ गए थे. चुनाव जीतने के बाद भी उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया लेकिन पिछले साल हुए मंत्री परिषद के विस्तार में उनको उद्योग मंत्री का महकमा जरूर थमा दिया गया


बताया जाता है कि श्याम रजक धीरे-धीरे जदयू नेतृत्व का खिलाफत खुलकर करने लगे थे गौरतलब है कि पिछले 6 माह से अनुसूचित जाति जनजाति आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा भी चला रहे थे ।जिसमें सभी दलों के दलित विधायकों को जोड़ उन्होंने खुद को इसको नेता के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास किया था। हालांकि इसमें सबसे पहले उन्हें राजद के दलित विधायकों ने ही ठेंगा दिखा दिया था. बताया जाता है कि नीतीश कैबिनेट में उद्योग मंत्री रहे श्याम रजक को सरकार के द्वारा औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 की गई समीक्षा भी पसंद नहीं थी.

लेकिन नीम पर करेला तब चढ़ गया जब नाराज चल रहे श्याम रजक के विभाग में पहले से सचिव काम संभाले हुए थे लेकिन उनके ऊपर प्रधान सचिव का अतिरिक्त प्रभार  सीएम के करीबी अधिकारियों में से एक एस. सिद्धार्थ को दे दिया गया ।इतना ही नहीं डॉ सिद्धार्थ ने  कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद ही अपने और उद्योग सचिव के बीच  विभागीय कार्यों का बंटवारा कर दिया। इस बात से श्याम रजक खासे नाराज हो गए. उन्होंने तत्काल एस सिद्धार्थ के बंटवारा आदेश को रद्द करते हुए नियमावली का उल्लंघन करार दिया। इसके बाद इस मामले की फाइल उन्होंने मुख्यमंत्री को भेज दी लेकिन सीएम नीतिश ने भी इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। वहीं दूसरी तरफ नाराजगी की आग पर चढ़ी खिचड़ी भी पूरी तरह पक चुकी थी ।बताया जाता है कि स्वतंत्रता दिवस समारोह में फुलवारी शरीफ जाने के बाद वहीं से उन्होंने तेजस्वी यादव से बातचीत की और राजद में जाने का मन बना लिया।

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