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रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए सोनिया को निमंत्रण, राहुल गांधी और प्रियंका को इस कारण नहीं मिला आमंत्रण

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए सोनिया को निमंत्रण, राहुल गांधी और प्रियंका को इस कारण नहीं मिला आमंत्रण

दिल्ली- राम मंदिर ट्रस्ट ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर अभिषेक के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी को आमंत्रित किया है. नृपेंद्र मिश्रा ने व्यक्तिगत रूप से भी सोनिया गांधी को निमंत्रण दिया हैं .निमंत्रण मल्लिकार्जुन खड़गे को भी मिला है जिसे खड़गे ने स्वीकार कर लिया है. उन्हें यह भी बताया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी निमंत्रण भेजा जा रहा है, जो अस्वस्थ हैं.

राम मंदिर ट्रस्ट इस विशाल आयोजन के लिए अलग-अलग दलों के राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित कर रहा है. पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है.विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित किया. वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं. 2014 के बाद से लोकसभा में विपक्ष का कोई आधिकारिक नेता नहीं है. इसलिए, वीएचपी ने कांग्रेस के सदन नेता अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रण भेजा है. ट्रस्ट के एक पदाधिकारी ने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को जल्द ही निमंत्रण मिलने वाला है. समारोह में बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को पहले ही आमंत्रित किया जा चुका है.

वहीं कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को कार्यक्रम में आमंत्रण नहीं मिलने का दावा किया जा रहा है. दरअसल, सोनिया गांधी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए कांग्रेस के प्रथम परिवार से एकमात्र आमंत्रित सदस्य हैं. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भाई- बहन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से निर्धारित मानदंडों के आधार पर निमंत्रण प्राप्त करने के योग्य नहीं हैं. सोनिया को मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कांग्रेस संसदीय दल के प्रमुख के रूप में आमंत्रित किया था. 

ट्रस्ट तीन श्रेणियों के राजनीतिक मेहमानों को निमंत्रण भेज रहा है. इसमें मुख्य धारा की पार्टियों के अध्यक्ष, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता इसमें शामिल हैं. इसके अलावा वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने 1984 और 1992 के बीच राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया था. विशेष अतिथियों के लिए ट्रस्ट रेड कार्पेट बिछा रहा है, उनमें साधु-संत, उद्योगपति, कलाकार और खिलाड़ी शामिल हैं.   

विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि भगवान राम सभी के हैं. कोई भेदभाव नहीं होगा. हमने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि समारोह का कोई राजनीतिक रंग न हो. अयोध्या में श्रीराम' का भव्य स्वागत किया जाएगा. वीएचपी नेता का यह बयान कई विपक्षी नेताओं के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर धर्म को एक राजनीतिक टूल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था. मिलिंद परांडे ने कहा कि यह विडंबना है कि सीपीआई और तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों ने समारोह का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है.उन्होंने कहा कि वे ही लोग इस घटना को राजनीतिक रंग दे रहे हैं। इन लोगों को राम जन्मभूमि आंदोलन का समर्थन करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. अब, अगर इसका समर्थन करने वालों को लंबे समय से प्रतीक्षित राम मंदिर के वास्तविकता में बदलने से लाभ होता है, तो उन्हें ईर्ष्या महसूस नहीं करनी चाहिए.

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