पटना. सच्चिदानंद राय को भाजपा की ओर से एमएलसी उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से उनके समर्थकों में खासा आक्रोश देखा जा रहा है. भाजपा ने सारण क्षेत्र से मौजूदा एमएलसी सच्चिदानंद राय का टिकट काटकर उनकी जगह धर्मेन्द्र कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी के इस निर्णय से नाराज सच्चिदानंद राय ने अब निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
राय के प्रबल समर्थक और ब्रह्मजन चेतना मंच के सचिव बाल मुकुंद शर्मा ने बताया कि सारण क्षेत्र से सच्चिदानंद राय को टिकट न देकर भाजपा ने एक समर्पित कार्यकर्ता का अपमान किया है. राय ने शुरुआती दौर से भाजपा को बिहार में जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए संघर्ष किया था. पार्टी के प्रति उनके समपर्ण का ही नतीजा रहा कि सारण इलाके में उन्होंने भाजपा की जड़ों को मजबूत किया. पिछले एमएलसी चुनाव में जब एनडीए में जदयू साथ नहीं था तब भाजपा को जिन सीटों पर बड़ी जीत मिली थी उसमें सारण प्रमुख था. यहां मिली बड़ी जीत का मुख्य कारण सच्चिदानंद राय की लोकप्रियता थी जिसका फायदा भाजपा ने चुनाव दर चुनाव उठाया. वहीं अब उसी समर्पित कार्यकर्ता का टिकट काटकर पार्टी के कुछ लोगों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र किया है.
उन्होंने कहा कि भाजपा का यह निर्णय सारण की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. सच्चिदानंद राय के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर वहां वे अपार जन समर्थन हासिल करेंगे. भाजपा को अपनी इस गलती के लिए चुनाव में पछताना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि राय ने सदन के भीतर और बाहर हर जगह आम लोगों के लिए संघर्ष किया है. वे आम जन की आवाज रहे हैं. शिक्षा और सेवा के कार्यों में वे हमेशा अग्रणी रहे हैं. इसी तरह पंचायत प्रतिनिधियों के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे हैं.
सच्चिदानंद राय की जगह सारण से धर्मेन्द्र कुमार सिंह को टिकट दिए जाने पर समर्थकों का कहना है कि यह पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी को जाहिर करता है. न तो राय से पार्टी नेतृत्व ने विचार विमर्श किया और ना ही उन्हें पूर्व में कोई जानकारी दी गई. टिकट काटे जाने की जानकारी भी उन्हें मीडिया से मिली जबकि पिछले 5 महीनों से वे चुनाव की तयारी में जुटे थे. समर्थकों का सीधा कहना है कि सच्चिदानंद राय का टिकट काटे जाने के पीछे बिहार बिहार के कुछ नेताओं का हाथ है न कि इसमें शीर्ष नेतृत्व की भूमिका है.
अब क्या करेंगे सच्चिदानंद राय : सच्चिदानंद राय के बेटे कुमार सात्यिक ने शनिवार को कहा कि उनके पिता का टिकट काटा जाना एक प्रकार का अपमान है. इससे सच्चिदानंद राय का समर्थन कर रहे हजारों कार्यकर्ताओं की भावना को ठेस पहुंचा है. उन्होंने इसे सम्मान की लड़ाई बताते हुए कहा कि वे अपने पिता के सम्मान के लिए उन्हें निर्दलीय मैदान में उतरने कहेंगे. वहीं सच्चिदानंद राय ने भी कहा कि पार्टी के निर्णय से उन्हें गहरा आघात लगा है. वे समर्थकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.