NEW DELHI : केंद्र की मोदी सरकार द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाए गए नए कानून पर रोक लगाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है। शुक्रवार को इस संबंध में हुए सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने इस पर अपना निर्णय सुनाया। हालांकि कानून को चुनौती देनेवाले याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जरुर जारी किया है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, 'हम वैधानिक संशोधन पर रोक नहीं लगा सकते. जारी नोटिस पर अप्रैल 2024 तक जवाब दिया जा सकता है
क्या है नए कानून में
केंद्र सरकार द्वार तैयार किए गए नए कानून में चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को बाहर रखा गया है. नए कानून के मुताबिक, 'मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाएगी. प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होंगे. इसके अन्य सदस्यों में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे'.
इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई का पैनल सीईसी और ईसी का चुनाव करेंगे. लेकिन, केंद्र सरकार ने संसद में एक बिल लाकर इस कानून में संशोधन कर दिया, जिसमें सीजेआई को पैनल से बाहर रखा गया है।
कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से नए कानून पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि यह कानून 'शक्तियों के विकेंद्रीकरण के विचार के खिलाफ' है। याचिकाकर्ता जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका में 'सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तटस्थ और स्वतंत्र चयन समिति का गठन करने, चयन की एक स्वतंत्र और पारदर्शी प्रणाली' लागू करने के लिए शीर्ष अदालत से निर्देश देने की मांग की गई है।