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शिक्षक नेता आनंद पुष्कर ने शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ से की मुलाकात, शिक्षा से जुड़े इन बिन्दुओं पर दिए सुझाव

शिक्षक नेता आनंद पुष्कर ने शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ से की मुलाकात, शिक्षा से जुड़े इन बिन्दुओं पर दिए सुझाव

PATNA : आज सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी आनंद पुष्कर साथ में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव शैक्षिक परिषद शशि भूषण दुबे ने अपर मुख्य सचिव  शिक्षा विभाग एस सिद्धार्थ से मुलाकात की। इस मौके पर उन्होंने कई बिंदुओं पर संशोधन हेतु सुझाव अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग को दिया है।

उन्होंने सुझाव दिया की राज्य के सभी विद्यालयों में वर्तमान समय में कार्यभार पहले से ज्यादा है। जरूरत के हिसाब से पर्याप्त संख्या में शिक्षकेत्तर कर्मियों की कमी के कारण समय-समय पर विभागीय एवं विद्यालयी कार्यालय संबंधी कार्यों को पूरा करने में शिक्षकों को टीम वर्क के तहत भी  समय देना होता है। वैसे में पूर्व से ही वर्क लोड झेल रहे विद्यालयों में प्रत्येक माह मासिक परीक्षा आयोजित करने से प्रत्येक माह का अधिकांश समय परीक्षा लेने, मासिक परीक्षा का मूल्यांकन करने, प्रगति पत्रक तैयार करने और अन्य कार्यों को निष्पादित करने में खर्च हो जाया करता है। इस तरह विद्यालयों में पढ़ाई कम और परीक्षा ज्यादा हो रही है। साथ ही अपेक्षाकृत अधिक परीक्षा लेने व इसे आयोजित करने में बराबर प्रश्न-पत्र तैयार करने, उत्तर-पुस्तिका तैयार करने एवं  इनके ट्रांसपोर्टेशन में अधिक धन व्यय के बावजूद भी इसका कोई बेहतर परिणाम नहीं हासिल हो रहा है।

उन्होंने बताया की इसके चलते बच्चों के पठन-पाठन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और यह व्यवस्था राज्य के बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं उनके सर्वांगीण विकास के मार्ग में अवरोध उत्पन्न कर रहा है। विद्यालयों में नित्य प्रतिदिन शिक्षकों द्वारा पठन-पाठन के दौरान ब्लैक-बोर्ड वर्क, क्लास वर्क, फीड बैक और होम वर्क, प्रोजेक्ट वर्क के द्वारा बच्चों का सतत् मूल्यांकन पूर्व से होता ही है। ऐसे में पठन-पाठन की अवधि को कम करके हरेक माह का काफी समय केवल मासिक परीक्षा में व्यतीत करना कहीं से जायज नहीं है। विद्यालयों में पूर्व की भांति पर्याप्त पढ़ाई के साथ अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा ही आयोजित करना अपेक्षाकृत अधिक प्रैक्टिकल है।

उन्होंने मांग किया की राज्य के सभी विद्यालयों में पूर्व की भांति अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा ही आयोजित करने की व्यवस्था पुनर्बहाल की जाय। ताकि विद्यालयों का अधिकांश समय बच्चों के पठन-पाठन, पाठ्य सहगामी क्रिया-कलाप, प्रैक्टिकल ओरिएंटेड एवं इनोवेटिव वर्क पर व्यतीत हो और इसके बेहतर परिणाम हासिल हो, जिससे राज्य के बच्चों का सर्वांगीण विकास हो।

             

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