शिक्षक नेता आनंद पुष्कर ने शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक को सौंपा ज्ञापन, शिक्षकों के इन मुद्दों पर की चर्चा

PATNA : सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी आनंद पुष्कर ने राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद पटना के निदेशक को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है की आपके नेतृत्व में बिहार के सभी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान एवं बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान में शिक्षक एवं प्राचार्य के प्रशिक्षण का कार्यक्रम अनवरत चल रहा है। निश्चित रूप से इससे एक नया बिहार बनाने में मदद मिलेगी। आपके स्तर से विभिन्न तरह के सुधारात्मक प्रयास जारी हैं।
उन्होंने कहा की जो प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है उसमें विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के प्राचार्य एवं व्याख्याता की केंद्रीय भूमिका है। लेकिन इस बीच परिषद के पत्रांक 2234 दिनांक 8 जून 2024 एवं पत्रांक 2261 दिनांक 11 जून 2024 एवं पत्रांक 2247 दिनांक 10 जून 2024 के द्वारा इन सब का कंप्यूटर का व्यावहारिक परीक्षा आयोजित होना है। बिहार शिक्षा सेवा के अन्य संवर्गों यथा प्रशासन , शिक्षण या एकांकी उपसमवर्ग के पदाधिकारी के संबंध में इस तरह के किसी परीक्षा का अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसी स्थिति में केवल शोध एवं अध्यापन संवर्ग के पदाधिकारी को परीक्षा में अनिवार्य रूप से शामिल होने और उनके उत्तीर्णांक को उनके वार्षिक कार्य प्रतिवेदन में शामिल करने जैसा निर्णय समुचित नहीं है। इसके बदले सभी संवर्ग के सभी पदाधिकारी को व्यवहारिक कंप्यूटर प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जाना ज्यादा उचित होगा। समय-समय पर इनका कोई विशेष कोर्स कराया जा सकता है और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा सकती है। परीक्षा में बाध्यकारी रूप से उपस्थित होना और उस प्राप्तांक के आधार पर इनका वार्षिक कार्य मूल्यांकन करना एक अतिरिक्त दबाव होगा। जिससे प्रशिक्षण का प्रभावित होना स्वाभाविक है।
वहीँ आनंद पुष्कर ने कहा की प्रशिक्षण के क्रम में कार्य के घंटे भी बढ़ गए हैं। जहां अन्य सरकारी विभागों में पांच दिवसीय एवं 6 दिवसीय साप्ताहिक कार्य अवधि एक मानक के अनुरूप है। वही यहां कार्य निर्धारण में किसी मानक का पालन नहीं किया जा रहा है। कई अवसरों पर तो 24 घंटे की सेवा देने की बेबसी है। रात्रि प्रहरी के रूप में भी इन पदाधिकारी की सेवा लेना कहीं से उचित नहीं है। विशेष रूप से तब जब की शिक्षण संस्थानों के परिसर में आवासन की सुविधा नहीं होते हुए भी महिला पदाधिकारी को दिन और रात सेवा देने की बाध्यता हो इसे तार्किक बनाया जाना जरूरी है। प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित करने में राजपत्रित अवकाश एवं अन्य त्योहारों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए ऐसा देखने को मिला है कि अन्य विभागों/ कार्यालय में घोषित अवकाश के दिन भी प्रशिक्षण चलता है जिससे बदनामी होती है। ना प्रशिक्षु उपस्थित हो पाते हैं और ना ही गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण संभव हो पता है।
कहा की प्राचार्य के द्वारा अवकाश स्वीकृत करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। आपने आधा दर्जन से ज्यादा पत्रों के माध्यम से आकस्मिक अवकाश के संबंध में भिन्न-भिन्न निर्णय दिया है। आशा है कि आप अपने निर्णय की समीक्षा करेंगे और निर्धारित अवकाश को स्वीकृत करने के लिए संबंधित संस्थाओं के प्राचार्य को पूरी जिम्मेदारी देंगे। जो प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है उसमें प्राइवेट एजेंसियों के माध्यम से कार्य कराए जा रहे हैं। भोजन की गुणवत्ता और अवसान की समस्या को लेकर आए दिन संस्थानों में माहौल गरमा गरम देखने को मिलता है। जहां 12 घंटे और 24 घंटे व्याख्याता को प्रशिक्षण में लगाया गया है। वहां उनके लिए भोजन और जलपान की व्यवस्था न होना उचित नहीं लगता। आपके स्तर से कई जगह प्रशिक्षण चलाया जा रहा है जो व्याख्याता राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद पटना में शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षण देते हैं। उन्हें निर्धारित मानदेय दिया जाता है। लेकिन जो व्याख्याता बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान में प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्हें परिवहन भत्ता तक भी नहीं दिया जाता है। जबकि अन्य विभागों से जो प्रशिक्षक आमंत्रित किए जाते हैं। उन्हें मानदेय के रूप में अच्छी खासी राशि (1800 रुपए प्रति क्लास+परिवहन भत्ता )दी जाती है इस तरह की व्यवस्था की समीक्षा आवश्यक है
वहीँ आनंद पुष्कर ने कहा की जो विद्यालय अनुभव कार्यक्रम चलते हैं। उसमें आपके द्वारा प्रशिक्षुओं को प्रतिदिन आधे समय के लिए प्रयोगशाला विद्यालय में और आधे समय के लिए प्रशिक्षण संस्थानों में उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है जो राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद के मानक के अनुरूप नहीं है। यह व्यावहारिक भी नहीं है। इसलिए इसको राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान के विद्यालय अनुभव कार्यक्रम के मानक के अनुरूप किया जाना अपेक्षित है।