पटना: दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी और फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है. आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है. शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है।. भारतीय सब्जी बनाने में सरसो का तेल बहुतायत रुप से प्रयोग किया जाता है. वहीं सरसो तेल का बाव आसमान छू रहा है तो मिलावटखोर सरसों के तेल में मिलावट कर मोटी कमाई कर रहे हैं. इससे हमारी सेहत को नुकसान होने का खतरा भी बढ़ गया है. मिलावटी खाद्य तेल के उपयोग के कई गंभीर दुष्प्रभाव हमारी सेहत पर देखने को मिलते हैं. जी मिचलाना और पेट खराब होना जैसी समस्या तो होती हीं है. इसके साथ हीं पेट में सूजन यहां तक कि दिल और सांस की बीमारी और एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है.
पहले सरसों के तेल में धान की भूसी का तेल बहुतायत में मिलाया जाता था, लेकिन अब पाम ऑयल मिलाया जाने लगा है. पाम ऑयल तेल से सस्ता होने के कारण दुकानदार को अधिक मुनाफा होता है. राइस ब्रान ऑयल का भी नकली सरसों का तेल बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. इन तेलों में रंग, खुशबू और मिर्च का अर्क, सिंथेटिक एलाइल आइसोथायोसाइनेट, प्याज का रस और फैटी एसिड की मिलावट करते हैं. खाने में सरसों के तेल का स्वाद तीखा व कड़वा होता है. इसकी सुगंध तेज होती है.
मिलावटी तेल खासकर पामोलिन मिले तेल को फ्रिज में रखने पर वह वनस्पति की तरह जमने लगता है. शुद्ध सरसों का तेल कभी भी जमता नहीं है. इसे जांचने के लिए तेल के नमूने में गाढ़ा नाइट्रिक एसिड मिलाकर मिश्रण को खूब हिलाएं. थोड़ी देर बाद मिश्रण में अगर लाल-भूरे रंग की परत दिखाई दे तो यह मिलावटी होने का संकेत है.
त्योहारों और शादियों के सीजन में मांग बढ़ने से मिलावटखोरी और बढ़ जाती है. इस दौरान सबसे ज्यादा रिफाइंड , सरसों के तेल की मांग होती है. महंगाई की वजह से सरसों के तेल में मिलावट की जड़ें देश में मजबूती से फैली हुई हैं. बाजार में नकली सरसों का तेल भी खूब बिकता है. पाम ऑयल, राइस ब्रान, सोया ऑयल मिलाकर सरसों का तेल बनाते हैं. इसके बाद असली से तीस-चालीस रुपए कम दामों में बेचते हैं. सस्ते दामों में मिलने वाले इन तेलों की खासियत यह होती है कि इनमें किसी तरह की खुशबू नहीं होती है और मिलावटखोर इसी बात का फायदा उठाते हैं.
आईजीआईएमएस के इंडोक्रोनोलॉजी विभाग के हे़ड डॉ वेद प्रकाश का कहना है कि केमिकल और ग्लिसरीन युक्त तेल से लीवर संबंधी रोग की आशंका रहती है. उन्होंन बताया कि मिलावटी तेल में मिले हानिकारक तत्व एल्डिहाइड, पॉलीमर आदि बेहद नुकसानदेह हैं, पॉलीमर ऐसा तत्व है, जो तले जाने के बाद कार्बोहाइड्रेट के साथ मिलकर कैंसर की कोशिकाएं तक विकसित कर सकता है तो वहीं फैटी एसिड हृदय की धमनियों में जमता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. डॉ वेद के अनुसार ड्राप्सी से पीड़ित मरीज के शरीर में सूजन के साथ ही फेफड़ों में पानी जमा होने का खतरा रहता है, जबकि रसायन युक्त तेल लंबे समय तक इस्तेमाल करने से श्वसन तंत्र भी प्रभावित होता है.
आईजीआईएमएस के इंडोक्रोनोलॉजी विभाग के हे़ड डॉ वेद प्रकाश का कहना है कि ट्राई-ऑर्थो-क्रेसिल फॉस्फेट एक मिलावटी तत्व है, जो खाद्य तेल के रंग के समान होता है. यह देखने पर आसानी से पकड़ में नहीं आता है. यह तेल में घुलनशील है और इसका स्वाद भी खाद्य तेल से ज्यादा अलग नहीं होता.
बहरहाल निरोगी काया को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. निरोगी काया तभी रहेगी जब हमारा आहार ठीक होगा. अगर आहार हीं मिलावटी हो तो स्वास्थ्य का तो भगवान हीं मालिक है.