सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जातीय गणना का मामला, नीतीश सरकार ने कहा - फैसले से पहले हमारी बात भी सुनी जाए

PATNA : बिहार में जातीय जनगणना को पटना हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी.वहीं बिहार सरकार जातीय जनगणना को लेकर खासी गंभीर है यहीं वजह है कि याचिकाकर्ता के सबसे बड़ी अदालत पहुंचने के पहले ही बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.

सुप्रीम कोर्ट मे बिहार सरकार ने याचिका दायर कर अपील की है कि बिना उसका तर्क सुने न्यायालय अपना पक्ष नहीं सुनाए.बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट अर्जी दाखिल किया है.

वहीं याचिकाकर्ता दीनू का कहना है कि एक लाइन में हाईकोर्ट का फैसला आया है,जिसमें कहा गया है कि रिट याचिका खारिज की जाती है.यानी जातीय गणना कराई जा सकती है.हमलोग फैसले के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत में जाएंगे.

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वहीं पटना उच्च न्यायालय के मंगलवार को आए फैसले के कुछ ही घंटे बाद सामान्य प्रशासन विभाग के बड़े पदाधिकारियों  ने सभी जिलों के डीएम  के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर इस बारे में निर्देश दिए. आधिकारिक तौर पर  जानकारी दी गयी कि जातीय जनगणना का 80 फीसदी काम पूरा हो गया है.केवल बीस प्रतिशत काम बचा हुआ है.जातीय जनगणना से जनता की जाति, उपजाति, शिक्षा,आय,धर्म और संप्रदाय के साथ ही उनकी सामाजिक स्थिति का भी पता लगाया जा रहा है.

जातीय जनगणना से सरकार यह जानने की कोशिश कर रही है कि  समाज में किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है, कौन शोषित है-वंचित है .इसके लिए पूरे राज्य में 5 लाख 19 हज़ार कर्मचारी लगाए गए हैं, जिसमें शिक्षकों के अलावा आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदी शामिल हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निगरानी में जातीय जनगणना का काम चल रहा है. सरकार को उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक जाति आधारित जनगणना का काम पूरा कर लिया जाएगा.शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक ने भी पत्र जारी कर आदेश दे दिया है कि जाति आधारित जनगणना का काम शिक्षक जल्दी पूरा क