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'आपातकाल के मुद्दे को टाला जा सकता था' बिरला ने आपातकाल पर पढ़ा प्रस्ताव तो नाखुश हुए राहुल, मुलाकात में कहा- आपने ठीक नहीं किया.....

'आपातकाल के मुद्दे को टाला जा सकता था' बिरला ने आपातकाल पर पढ़ा प्रस्ताव तो नाखुश हुए राहुल, मुलाकात में कहा- आपने ठीक नहीं किया.....

नई दिल्ली- लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को सदन के अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की. इस दौरान उन्हें उनके द्वारा सदन के भीतर आपातकाल का उल्लेख किए जाने को लेकर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि यह कदम राजनीतिक था, इससे बचा जा सकता था.

18वीं लोकसभा का स्पीकर चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में एक प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें उन्होंने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा की. कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने इस दौरान हंगामा किया और नारेबाजी की. वहीं, गुरुवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर से मुलाकात की और आपातकाल पर पढ़े प्रस्ताव पर नाखुशी जताई.

राहुल गांधी, सपा नेता धर्मेंद्र यादव, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने नीट और क्रिमिनल लॉ को लेकर स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की. ये शिष्टाचार मुलाकात थी. इस दौरान राहुल गांधी ने स्पीकर से आपातकाल पर पढ़े प्रस्ताव पर नाखुशी जताई. राहुल ने कहा कि ये आसन से नहीं होना चाहिए था.

कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी.लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित किया। उसके बाद राहुल गांधी गठबंधन के सहयोगी नेताओं के साथ अध्यक्ष से मिले.

लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद गांधी की अध्यक्ष के साथ यह पहली बैठक थी. बता दें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फिर से अध्यक्ष बनने के कुछ देर बाद बुधवार को सदन में उस वक्त हंगामा देखने को मिला जब बिरला ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है ‘‘जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था.” इस दौरान सदन में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी की.

आपातकाल पर प्रस्ताव पढ़ते हुए ओम बिरला ने कहा, अब हम सभी आपातकाल के दौरान कांग्रेस की तानाशाही सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में मौन रखते हैं. इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने कुछ देर मौन रखा, हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और टोकाटाकी जारी रखी.


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