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यूपी के इस गांव में बेटी का नाम नहीं रखा जाता है शबनम, जानिए क्यों …..

यूपी के इस गांव में बेटी का नाम नहीं रखा जाता है शबनम, जानिए क्यों …..

NEWS4NATION DESK : उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक बावनखेड़ी गांव है। इस गांव के लोग अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखते है। ऐसा नहीं है कि यहां ऐसा शुरुआत से ही होता आ रहा है। दरअसल गांव में एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद लोगो ने अपनी बेटी का नाम शबनम रखने से तौबा कर लिया। दरअसल वर्ष 2008 के अप्रैल माह में इस गांव की एक बेटी जिसका नाम शबनम था उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी थी। 

10 साल बाद भी गांव वाले नहीं भूले है घटना 

घटना को दस साल बीत गए हैं, लेकिन गांव के लोग उस घटना को आजतक नहीं भूले। गांव का कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखता है। शबनम के घर के सामने रहने वाले इंतजार अली ने बताया, 'शबनम के घर के कमरों में आज भी खून के दाग हैं। उस घटना के बाद से किसी के भी घर में शबनम ने जन्म नहीं लिया।' 

डबल एम.ए है अपने पूरे परिवार की हत्या करने वाली शबनम

हत्या के पीछे का कारण बताया जाता है कि शबनम और सलीम के बीच प्रेम संबंध थे। शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में एमए किया था। वह सूफी परिवार की थी। उनके परिवार के पास काफी जमीन थी। वहीं सलीम पांचवीं फेल था और पेशे से एक मजदूर था। इसलिए दोनों के संबंधों को लेकर परिजन विरोध कर रहे थे। 14-15 अप्रैल 2008 की रात शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी। तब वह सात महीने की गर्भवती थी।
 
 
किसी यकीन नहीं हुआ कि शबनम कर सकती है ऐसा काम
 शबनम के परिजनों का कहना है कि शबनम कॉलेज की बहुत अच्छी छात्रा थी, किसी को भी यकीन नहीं था कि वह इतना घिनौना काम करेगी। घटना के बाद शबनम ने कहा कि घर में घुसे लुटरों ने पूरे परिवार को काट डाला। वह बाथरूम में थी, इसलिए बच गई।
 
 ऐसे हुआ था मामले का खुलासा
 पूरे परिवार में शबनम के बच जाने पर पुलिस को उसपर शक हुआ। पुलिस ने उसकी कॉल डीटेल खंगाली तो पता चला कि उसने 50 से 60 बार एक ही नंबर पर बात की थी। हत्या के कुछ मिनट पहले भी उसने एक नंबर पर बात की थी। इसके बाद पुलिस ने शबनम को पकड़ा और बाद में सलीम को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
 
 इसी महीने होनेवाला है फांसी पर अंतिम फैसला
 दोनों को कोर्ट ने मौत की सजा दी। सुप्रीम कोर्ट से भी उनकी सजा माफ नहीं हुई। उन्होंने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की लेकिन वह भी निरस्त कर दी गई। एक बार फिर से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार दायर की है जिसकी सुनवाई इसी महीने होनी है, जिसके बाद फैसला होगा कि दोनों को फांसी दी जाएगी या नहीं।

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