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नए Covid सब वैरिएंट JN.1से जा सकती है गले की आवाज, मरीजों में कोविड जेएन.1 के हल्के लक्षण, घबराने की जरूरत नहीं;

नए Covid सब वैरिएंट JN.1से जा सकती है गले की आवाज, मरीजों में कोविड जेएन.1 के हल्के लक्षण, घबराने की जरूरत नहीं;

ओमिक्रॉन की तबाही के करीब डेढ़ साल बाद अब नए कोविड सब वैरिएंट JN.1 ने फिर से चिंता बढ़ा दी है.कोरोना का नया वैरिएंट जेएन.1अब भारत के कई हिस्सों में भी संक्रमण फैला रहा है. केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा के कुछ हिस्सों में इस नए संक्रमण ने तेजी से लोगों को बीमार किया है. इस बीच कोरोना को लेकर सबसे नई रिसर्च ने सभी को चौंका दिया है. पता लगा है कि इस खतरनाक वायरस से न केवल स्वाद और गंध बल्कि गले को भी बेहद नुकसान हो सकता है. एक केस में 15 साल की एक लड़की ने कोरोना वायरस के चलते अपनी आवाज गंवा दी.

शनिवार को 752 नए कोविड-19 मामले दर्ज किए हैं, जो कि पिछले सात महीनों में सबसे अधिक है. इसके अलावा केरल, कर्नाटक और राजस्थान में 4 लोगों की मौतें भी हुई है.कोरोना के नए सब-वैरिएंट जेएन.1 पर एम्स के डॉक्टरों ने लोगों को घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की सलाह दी है. डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा, "देश के कई राज्यों में लोग कोबिड के नए सब-वेरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं. मरीजों के लक्षण हल्के हैं इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है.

वहीं रिसर्च से पता चला है कि कोरोना संक्रमण गले को भी संक्रमित करता है, इतना ही गले की आवाज तक जा सकती है. जानकारों का कहना है कि इसे वोकल कॉर्ड पैरालिसिस कहा जाता है. इसमें आपके वोकल हिस्से प्रभावित होते हैं. संक्रमण की स्थिति में आप धीरे-धीरे बोलने की क्षमता खो देते हैं. यह बेहद खतरनाक है. जीएनसीटीडी मंत्री (स्वास्थ्य) सौरभ भारद्वाज ने नवंबर-2023 के दौरान चीन में बच्चों में निमोनिया सहित श्वसन रोगों के मामलों में वृद्धि को देखते हुए 30 नवंबर को श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ एक बैठक बुलाई थी. जिसमें आरटी पीसीआर द्वारा निमोनिया के गंभीर मामलों के परीक्षण करने, नमूनों का विवरण बनाए रखने और एंटी-वायरल दवाओं का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने पर एसओपी जारी की गई. इसमें विभिन्न मापदंडों पर तैयारियों का आकलन करने के लिए 13 दिसंबर से 17 दिसंबर तक सभी अस्पतालों में मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी.

वहीं आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रोहित उपाध्याय बताया कि हम इस वायरस के बारे में अधिक जागरूक हैं और हम जानते हैं कि इससे कैसे निपटना है.इसलिए यदि आप मामलों को बढ़ते हुए देखते हैं, तो यह दर्शाता है कि हमारी निगरानी प्रणाली सही जगह पर है.  इसलिए यह घबराहट का कारण नहीं होना चाहिए. यह केवल दिखाता है कि हम अब कितनी अच्छी तरह तैयार हैं और मुझे लगता है कि हमें इसे अच्छे तरीके से संभालने में सक्षम होना चाहिए. डॉ रोहित ने बताया कि प्रकृति के नियम के हिसाब से जिंदा रहने के लिए वायरस समय-समय पर अपना रूप बदलता रहता है. ऐसे में लोगों को डरने की जरूरत नहीं है लेकिन इसे लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा, पहले से बीमार लोगों और बुजुर्गों को ध्यान अधिक रखना होगा. वहीं, बच्चों को हाथ साफ करने, मास्क लगाने का काम करना चाहिए. भीड़ वाले इलाकों में जाएं तो मास्क पहनें. उन्होंने कहा कि सर्विलांस बहुत जरूरी है. अगर किसी को लक्षण दिखाई दें तो वे भी मास्क लगाएं और दूसरों से उचित दूरी बनाकर रखें. 

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