परिजनों ने कई दिनों से लापता नाबालिग का किया दाह- संस्कार, मौत की खबर सुनकर बेटी ने वीडियो कॉल, कहा- 'पापा मैं मरी नहीं, मैं तो जिंदा हूं'

PURNIA: क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी मुर्दे को श्मशान घाट ले जाकर जला दिया गया हो और वह अपनी खबर देखते ही बोल पड़े 'मैं अभी जिंदा हूं।' बिहार के पूर्णिया में ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां घरवालों ने भवानीपुर के अकबरपुर ओपी के नवगछिया टोला के बहियार नहर के कछार से मिले एक लड़की के शव की शिनाख्त न सिर्फ अपनी बेटी समझकर कर ली बल्कि जल्दबाजी में उसका दाह संस्कार तक कर दिया। इधर लड़की अपने ही हत्या की खबर पढ़कर दंग रह गई। वीडियो कॉल पर घरवालों को कॉल किया और कहा- 'पापा मैं मरी नहीं, मैं तो जिंदा हूं।' ऐसे में सवाल यह उठता है कि अपनी ही बेटी को पहचानने में घर वालों से इतनी बड़ी चूक कैसी हुई। लड़की के साथ ऐसा क्या हुआ था और लड़की आखिर तब थी कहां जब घर वालों ने लाश देखकर बेटी को मुर्दा समझ लिया। इतना ही नहीं शमशान तक चले गए और दाह संस्कार तक कर दिया। दुधमुही वाली रिवाज तक पूरी कर ली गई। आइए पूरे मामले को समझते हैं।

दरअसल, जिला मुख्यालय से तकरीबन 58 किलोमीटर दूर रुपौली प्रखंड के बलिया ओपी पुलिस स्टेशन के तुलसी बिशनपुर गांव में रहने वाले किसान बिनोद मंडल की कक्षा दसवीं में पढ़ने वाली 17 साल की बेटी अंशु कुमारी स्कूल के बहाने अब से ठीक ढाई महीने पहले 3 जून को घर से निकलती है। इसके बाद फिर वह वापस नहीं आई। नाबालिग के भाई दिवाकर कुमार कहते हैं कि देर शाम तक जब वह घर वापस नहीं आती। तो घर वाले उसने ढूंढना शुरू करते हैं। आसपास के टोलों ,सहेलियों और रिश्तेदारों के यहां भी घरवालों को गुमशुदा बेटी की कोई खबर नहीं मिलती। हालांकि थाना में शिकायत करने के बजाए लोक लिहाज के कारण घर के लोगों ने नाबालिग की गुमशुदगी की शिकायत नहीं की। वहीं 14 जून को अंशु के फोन नंबर का कॉल डिटेल घर वालों के हाथ लगता है। जिसके बाद घर वाले 15 अगस्त की नेशनल छुट्टी के अगले दिन 16 अगस्त को थाना जाकर गुमशुदगी की शिकायत करने की सोचते हैं। हालांकि इससे पहले ही 15 अगस्त को कुछ ऐसा हो जाता है कि घरवालों को इसका मौका ही नहीं मिलता।

बता दें कि,16 अगस्त को भवानीपुर के अकबरपुर ओपी का नवगछिया टोला गांवबहियार नहर से गुजरते हुए ग्रामीणों की नजर पानी में तैरती एक लड़की के शव पर जाती है। लोगों ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। जिसके बाद बाकी लोगों की तरह देर शाम तक दिवाकर अपने पिता तुलसी बिशनपुर गांव से पिता बिनोद मंडल और घर के बाकी लोगों के साथ गांव के बहियार नहर पहुंचते हैं। जहां वह शव को देखते हैं। कपड़े और कद काठी देखकर उन्हें यह शव अपनी बेटी अंशु कुमारी का लगता है। जिसके बाद अकबरपुर ओपी की पुलिस अंशु की डेड बॉडी को कागजी पुलिसिया प्रक्रियाओं के बाद हैंड ओवर कर देती है। रोते -बिलखते घर वाले इस डेड बॉडी को अपनी 17 वर्षीय बेटी का शव समझकर अपने साथ ले जाते हैं। श्मशान घाट में शव के दाह संस्कार के बाद अगले दिन दुधमुही की जाती है। 

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वहीं 17 अगस्त की सुबह -सुबह घर का फोन बजता है। फोन पर कोई और नहीं बल्कि अंशु होती है जिसे मुर्दा समझकर घरवाले श्मशान में उसे जलाए आते हैं। अंशु की अपने पिता से फोन पर बात होती है। अंशु का पहला शब्द होता है। हेलो... हेलो पापा मैं अंशु। हेलो पापा मैं जिंदा हूं। मैं मरी नहीं। आपने जिसकी डेड बॉडी जलाई वो मैं नहीं पापा। इसके बाद अंशु वीडियो कॉल करके घर वालों को दिखाती है। वह बताती है कि पापा मैं रुपौली हॉल्ट बाजार में एक किराए के मकान में रह रही हूं। मैंने भागकर शादी कर ली है। लड़के का नाम विरांजन कुमार है। विरांजन 24 साल का है और वह भवानीपुर का ही रहने वाला है। दिवाकर ने बताया कि वीडियो कॉल पर ही अंशु उसे बताती है कि 3 जून को भागने से ठीक 10 दिन पहले इसे एक रॉन्ग कॉल आता है। और फोन से ही उसकी बिरंजन से उसकी जान -पहचान होती है। गुफ्तगू प्यार और इजहार में बदलता है। जिसके बाद वह घर से भाग निकलती है। अकबरपुर ओपी थानाध्यक्ष सूरज कुमार ने कहा कि यह चूक कैसे हुई है इसकी छानबीन की जा रही है।