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योगी राज में एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे के परिजन लड़ेंगे चुनाव, यहाँ से ठोकेंगे भाजपा के खिलाफ ताल

योगी राज में एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे के परिजन लड़ेंगे चुनाव, यहाँ से ठोकेंगे भाजपा के खिलाफ ताल

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वर्ष 2020 में कुख्यात वांछित विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद विरोधियों के निशाने पर आ गई थी. और अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर विकास दुबे एनकाउंटर राजनीति के केंद्र में आ रहा है. अगर सब कुछ सही रहा तो विकास दुबे के परिजन भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. 

उत्तरप्रदेश के कानपुर में हुए बीकरू  कांड को शायद ही कोई भूल पाया होगा. बिकरू कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे के भांजे अमर दुबे की सास गायत्री तिवारी पनकी रतनपुर में रहती हैं. सूत्रों का कहना है कि गायत्री आजकल राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस और सपा के सम्पर्क में हैं. दरअसल दोनों ही पार्टियां उन्हें अपनी पार्टी का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ाना चाहती हैं. इसके लिए दोनों पार्टियों में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाने की होड़ मची हुई हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने उन्हें कल्याणपुर से पार्टी का चेहरा बनाने का आश्वासन दिया था इसी बीच सोमवार को सपा के पूर्व नगर महामंत्री वरुण मिश्रा के कमला नगर स्थित कार्यालय में गायत्री तिवारी को बुलाया गया जहां सपा नेता मेजर आशीष चतुर्वेदी ने उन्हें गोविंदनगर से टिकट देने का प्रस्ताव दिया. 

गायत्री के मुताबिक उनके लिए बेटी को इंसाफ दिलाना प्राथमिकता है. वह चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं लेकिन सपा के पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सरकार बनने के एक माह भीतर उनकी बेटी जेल से बाहर होगी. उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी कानपुर बिकरू कांड में आरोपी खुशी दुबे के मामले को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है. खुशी दुबे की मां समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोविंद नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. सपा के नेता मेजर आशीष चतुर्वेदी ने खुशी दुबे की मां से मुलाकात की है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि यदि प्रदेश में सपा की सरकार बनती है, तो खुशी दुबे को न्याय मिलेगा। इसके साथ जरूरत पड़ने पर मुकदमों को वापस भी लिया जा सकता है. आशीष ने बताया कि खुशी की मां ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. इस पर अखिलेश यादव का क्या रुख है, आशीष चतुर्वेदी ने यह स्पष्ट नहीं बताया. दूसरी तरफ खुशी दुबे की मां गायत्री ने अखिलेश यादव पर पूरा भरोसा जताया है.

कब और कैसे हुआ था बीकरू कांड

2 जुलाई 2020 की आधी रात 12:45 बजे। बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी और एसओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. एक-एक पुलिसकर्मी को दर्जनों गोलियां मारी थीं. पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. 45 आरोपी जेल में बंद हैं. केस का ट्रायल जारी है.  दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई. यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे. घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी. पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों से गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं. चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे.

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