बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बिहार में तीसरे चरण का चुनाव इंडिया गठबंधन की ताकत की एक बड़ी परीक्षा, यादव-मुस्लिम के गढ़ में लालू-तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर

बिहार में तीसरे चरण का चुनाव इंडिया गठबंधन की ताकत की एक बड़ी परीक्षा, यादव-मुस्लिम के गढ़ में लालू-तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर

पटना. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में जब भाजपा नीत एनडीए ने बिहार में 40 में 39 लोकसभा की सीटें जीती तो यह राजद सहित पूरे विपक्ष के लिए मिट्टी पलीद होने वाली स्थिति थी. लेकिन, एक साल बाद ही हुए विधानसभा चुनाव 2020 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद ने कमाल कर दिया. लोकसभा चुनाव में शून्य पर आउट होने वाली राजद ने विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीतने में सफलता पाई. हालाँकि वह सरकार बनाने के मैजिक नम्बर से कम रहा. राजद सहित कांग्रेस और वामदलों की जीत के पीछे एक बड़ा कारण यादव और मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही अन्य वर्गों के वोटरों का महागठबंधन को मिला समर्थन माना गया. और अब उसी यादव बहुल कोसी में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 5 संसदीय सीटों पर 7 मई को मतदान होगा. 

तीसरे चरण का चुनाव बिहार में इंडिया गठबंधन की ताकत की एक बड़ी परीक्षा है. तो दूसरी ओर एनडीए को अपनी साख बचाने की चुनौती है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर ही इस बार लोकसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस गठबंधन को लोकसभा चुनावों में अपनी संख्या बढ़ने की उम्मीद है. इसका सबसे बड़ा क्षेत्र कोसी के इलाके में माना जा रहा है. मधेपुरा, सुपौल, झंझारपुर सहित खगड़िया और अररिया में 7 मई को मतदान होगा. राजद के मूल वोट बैंक, यादवों और मुसलमानों की एक बड़ी आबादी के साथ चार सीटें मधेपुरा, सुपौल, झंझारपुर सहित खगड़िया पर लालू यादव और तेजस्वी की नजर है. वहीं अररिया में करीब 7.5 लाख मुस्लिम मतदाता होने से यहाँ भी अपने लिए राजद उम्मीद लगाये है.    

झंझारपुर : जदयू के रामप्रीत मंडल ने पिछले लोकसभा चुनाव में यहां राजद के गुलाब यादव को 3.22 लाख वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया था. इस बार जदयू से रामप्रीत मंडल हैं लेकिन महागठबंधन में यह सीट मुकेश सहनी की वीआईपी को गया है. सुमन कुमार महासेठ को मुकेश ने प्रत्याशी बनाया है. वहीं गुलाब यादव ने लालू यादव की पार्टी से बगावत कर बसपा के टिकट पर मैदान में सियासी चुनौती देनी शुरू कर दी है. गुलाब यादव पहले विधायक रह चुके हैं. उनकी पत्नी एमएलसी हैं और बेटी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं. ऐसे में गुलाब के मैदान में आने से महागठबंधन के सुमन कुमार महासेठ की मुश्किलें बढ़ गई हैं. 

मधेपुरा : जदयू के दिनेश चन्द्र यादव ने भी पिछला चुनाव शरद यादव को तीन लाख वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया था. इस बार उनका मुकाबला राजद के प्रो. कुमार चंद्रदीप से है. रोम पोप का और मधेपुरा गोप का वाला सियासी सफर पिछले कई दशकों से मधेपुरा में साकार हो रहा है. इस बार भी यहाँ दो यादवों के बीच मुख्य मुकाबला है. ऐसे में यहाँ जदयू को सीट बचाने और लालू यादव को अपने यादव वोटरों पर पकड़ मजबूत करने की चुनौती है. 

अररिया : करीब 44 फीसदी यादव मतदाताओं वाले अररिया में जीत-हार के बीच मुस्लिम मतदाता बेहद अहम होंते हैं. यहाँ करीब 7 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. ऐसे में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को राजद के शाहनवाज आलम से मुकाबला करना है. पिछले चुनाव में भाजपा ने 1.37 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. यहाँ भी लालू यादव को मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ बनाये रखने की अग्निपरिक्ष से गुजरना है. दूसरी ओर भाजपा को यहां अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है. 

सुपौल : कोसी के पेट में बसे सुपौल में इस बार 15 प्रत्याशी हैं. यहां जदयू के निवर्तमान सांसद दिलेश्वर कामत को अपनी सीट बचानी है. वहीं राजद के कामेश्वर चौपाल जोरशोर से यहां चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. इन सबके बीच बैद्यनाथ मेहता ने निर्दलीय उतरकर दोनों की चिंता बढ़ा दी है. कई प्रकार की जमीनी चुनौतियों को झेलते सुपौल में सियासी लड़ाई भी जातियों समीकरणों के आसपास ही जारी है. 

खगड़िया : चिराग पासवान के लोजपा (रामविलास) से मैदान में उतरे राजेश वर्मा को एनडीए का गढ़ बचाए रखना है. उन्हें वामपंथी सीपीआई (एम) के संजय कुमार से टक्कर है. पिछले चुनाव में भी लोजपा के महबूब अली केसर ने 2.48 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार यहां सियासी समीकरण बदला हुआ है. दोनों ओर से नये प्रत्याशी हैं. अब देखना है जनता इस बार किस पर विश्वास करती है.

Suggested News