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रिहाइशी इलाके में बाघ के आने से ग्रामीणों की नींद हराम, वनकर्मियों के छूटे पसीने

रिहाइशी इलाके में बाघ के आने से ग्रामीणों की नींद हराम, वनकर्मियों के छूटे पसीने

BAGAHA : नौ दिन पहले वीटीआर के जंगल से बाघ निकलकर रिहायशी क्षेत्र में आ गया है. अब वह वापस नहीं लौट रहा है. जंगल में वापस लौटने की बजाय वह दूसरी दिशा में लोकेशन बदल रहा है. शनिवार को ट्रैकिंग के दौरान वनकर्मियों के दल को इसके ताजा पगमार्क कोट बंजरिया गांव के आसपास मिले हैं. 

नतीजा सोनखर पंचायत सहित कई गांवों में दहशत का माहौल है. इधर कई गांवों के किसान और पशुपालक खेत में नही जा रहे है. बाघ के लगातार स्थान परिवर्तन ने वनकर्मियों को परेशान कर दिया है. हालांकि वन प्रशासन इसे रेस्क्यू कर पिंजरे में बंद करने की सोच जरूर रहा है. लेकिन इलाके में मौजूद बड़े भूभाग में गन्ने की फसल बाधक बन रही है. 

गन्ना पिंजरे को इंस्टाल करने के लिए रुकावट बना है. दरअसल भीषण गर्मी के बीच वनकर्मियों को ट्रैकिंग में दिक्कत हो रही है. इस वजह से वे भी शीघ्र बाघ को जंगल भेजने के प्रयास में जुटे है. लेकिन बाघ की गतिविधियों के बदलाव की वजह से रेस्क्यू दल की सोच का परिणाम नही निकल रहा है. 

इस सम्बन्ध में गोबर्द्धना वन पदाधिकारी मानवेंद्रनाथ चौधरी ने बताया कि शनिवार को बाघ के पगमार्क कोट बंजरिया गांव के समीप मिले है. हमारी तरफ से बाघ को पिंजरा इंस्टाल कर पकड़ने की सोचा जा रहा है. लेकिन अधिकांश जगह गन्ने की फसल मौजूद है. इससे पिंजरे को सही लोकेशन पर इंस्टॉल करना संभव नही है. 

बगहा से माधवेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट 

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