पश्चिम बंगाल की राजनीति में आपराधिक तत्वों का बोलबाला दशकों से जारी रहा है. कभी जो दबंग लोग पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार के दौरान वोट छापने और बूथ कब्जाने के लिये कुख्यात थे, अब उन्होंने वाम पंथ का चोला उतार दिया है . कहा तो यहां तक जा रहा है कि ममता बनर्जी के पार्टी टीएमसी के कार्यकर्ताओं के रूप में वे हीं गुंडे नजर आ रहे हैं.वहीं संदेशखाली आज राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है. पश्चिम बंगाल में स्थानीय निकाय चुनावों में हुई हिंसा और चुनावों में हेराफेरी इसकी बानगी बतायी जाती है.
संदेशखाली की घटना पूरे देश में सुर्खियां बनी
दो माह से पश्चिम बंगाल का उत्तर 24 परगना जिले का कालिंदी नदी के किनारे बसा संदेशखाली गांव सुर्खियों में बना हुआ है. संदेशखाली के अचानक सुर्खियों तब आया जब पांच जनवरी को ईडी शाहजहां के घर पर छापामारी करने पहुंची थी, टीम पर हमला हो गया था. इसमें ईडी के तीन पदाधिकारी घायल हो गए. ममता बनर्जी के पार्टी टीएमसी के नेता शाहजहां शेख के ठिकाने पर रेड डालने पहुंचे ईडी के अधिकारियों पर हमले किए गये. अधिकारियों का सिर फट गए. तब 5 जनवरी को संदेशखाली की घटना पूरे देश में सुर्खियां बनी.पुलिस के नाक के नीचे से वह फरार हो गया.
महिलाओं के शोषण के मामले उजागर
अनाज घोटाले में ईडी की कार्रवाई पर टीएमसी कार्यकर्ताओं के प्रतिरोध और उसके बाद ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद संदेशखाली में नये-नये खुलासे होते रहे हैं. हिंसा और दबंगई के लिये कुख्यात इलाके में दबंग राजनेताओं द्वारा जमीन कब्जाने और आदिवासी महिलाओं के शोषण के मामले उजागर हुए.
गांव में घूमकर सुंदर महिलाओं को खोजते
स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर संगीन आरोप लगाए.अब संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां और उसके समर्थकों पर अत्याचार, यौन उत्पीड़न करने और जमीन कब्जाने जैसे आरोप लगाए हैं. एक महिला ने दावा किया कि संदेशखाली में महिलाएं सुरक्षित नहीं रह सकतीं. हम बाहर जाने से भी डरते हैं. एक महिला ने तो ये तक आरोप लगा दिया कि टीएमसी के लोग गांव में घूमकर घर-घर जाकर सुंदर महिलाओं की टोह में रहते हैं.
महिलाओं को टीएमसी कार्यालय उठा कर ले जाते
संदेशखाली महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनकी जमीन छीन ली गयी. टीएमसी के नेताओं की गांव में रहने वाली महिलाओं और बेटियों पर नजर रहती थी. जो महिलाएं उन्हें अच्छी लगती थीं. वे रात में घर की महिलाओं को पार्टी कार्यालय ले जाया करते थे. उन्हें रात भर रखा जाता था और जब-तक उनका मन नहीं भर जाता. उन्हें नहीं छोड़ा जाता था. यदि महिलाएं नहीं जाती थीं तो सरकारी सेवाएं बंद कर दी जाती थी.
महिला मुख्यमंत्री वाले राज्य में महिलाओं का शोषण
बहरहाल महिला मुख्यमंत्री वाले राज्य में महिलाओं का शोषण करने वाले टीएमसी नेताओं को बचाने के आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से विपक्ष पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आरोप लगाये जा रहे हैं.
हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
दबंग राजनेताओं द्वारा महिलाओं का सामूहिक शोषण किया जाता है तो निश्चय ही यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी मुख्य अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई न होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हालांकि, इस प्रकरण में अब तक डेढ़ दर्जन आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
महिलाओं की दर्दनाक दास्तान
एक बीस मिनट का वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें महिलाएं अपनी आपबीती सुना रही हैं. क्षेत्र की महिलाएं इस मुद्दे को लेकर मुखर हो रही हैं और दोषियों को दंडित करने की मांग को लेकर एकजुट हो रही हैं. सवाल उठाये जा रहे हैं कि इन महिलाओं ने पहले दबंग राजनेताओं के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई. मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी के बाद वे आवाज उठाने में सक्षम हो पायी हैं. बहरहाल अपराधी की न कोई राजनीतिक विचारधारा होती है और न ही कोई धर्म होता है. अपराधी को सजा मिलनी चाहिए, इसकी मांग पीड़ित कर रहीं है.
शाहजहां शेख का दबदबा
शाहजहां शेख फरार हो गया. संदेशखाली के कोने-कोने से उनके प्रभाव और प्रतिष्ठा की कहानी सामने आने लगी. कथित तौर पर सत्ता पक्ष में उनकी बहुत कद्र थी. शेख शाहजहां जिला परिषद के अध्यक्ष है. पूरे इलाके में शाहजहां के इशारे के बिना संदेशखाली में एक पत्ता भी नहीं हिलता था .ईडी पर हमला करने वाले लोग शाहजहां के समर्थक हैं. शाहजहां पुलिस के नाक के नीचे से फरार हो गया, लेकिन पुलिस को पता ही नहीं चला? वाह रे राजनीति.....