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'कुशवाहा' ने 'जायसवाल' से पूछा- कुकर्म के बदले 'पुरस्कार' से नवाजा जाना क्या साबित करता है...वापसी की मांग का समर्थन करेंगे?

'कुशवाहा' ने 'जायसवाल' से पूछा- कुकर्म के बदले 'पुरस्कार' से नवाजा जाना क्या साबित करता है...वापसी की मांग का समर्थन करेंगे?

PATNA: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह एवं उपेन्द्र कुशवाहा ने सम्राट अशोक को औरंगजेब से तुलना करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। जेडीयू नेतृतृव ने नाटककार दया प्रकाश सिन्हा पर कार्रवाई करने एवं पद्मश्री वापस लेने की मांग की थी। इसके बाद बीजेपी ने जेडीयू नेताओं पर करारा प्रहार किया है। बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने मोर्चा संभाला और बिना नाम लिये ललन सिंह एवं उपेन्द्र कुशवाहा की जमकर खरी-खोटी सुनाई। बीजेपी अध्यक्ष ने तो यहां तक कह दिया कि कुछ ‘ख़ास नेताओं’ को मन मुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है. बीजेपी अध्यक्ष के आक्रामक रूख के बाद जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने जवाब दिया है।

जायसवाल जी कुकर्म के बदले पुरस्कार से नवाजना क्या साबित करता है ?

उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अच्छा लगा....। संजय जायसवाल ने सम्राट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को नकारात्मक प्रचार से मेवा प्राप्त करने वाला पेड़ बताया। मगर ऐसे कुकर्म के बदले पुरस्कार से नवाजा जाना आखिर क्या साबित करता है ? देर से ही सही, भुल सुधार के लिए क्या जायसवाल जी पुरस्कार वापसी की मांग का समर्थन करना चाहेंगे ?

संजय जायसवाल ने बताया राजनीतिक भष्मासुर

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज कहा कि  कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए नकारात्मक प्रचार भी मेवा देने वाला पेड़ है. पर मुझे आश्चर्य तब होता है जब कुछ समझदार राजनैतिक कार्यकर्ता भी इनके जाल में फंस कर अपना प्रचार में लग जाते हैं वह यह भी नहीं सोचते कि इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है अगर इन्हें भरपेट मेवा न दिया जाए तो इन्हें उस पेड़ की जड़ में मट्ठा डालने से भी परहेज नहीं होता. यही वजह है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इन्हें ‘राजनीतिक भस्मासुर’ की संज्ञा दी जाती है. बिहार में भी एनडीए सरकार की मजबूती और अनुशासन के कारण कुछ ‘ख़ास नेताओं’ को मनमुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि यह लोग किसी न किसी मुद्दे पर लगभग रोजाना ही अलग-अलग विषयों पर एनडीए को बदनाम करने के अपने एकसूत्री एजेंडे पर कार्यरत रहते हैं. 

उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना के मुद्दे को ही ले लें तो कुछ ‘ख़ास नेताओं’ द्वारा जबर्दस्ती इस प्रकरण में भाजपा को घसीटा जा रहा है. जबकि देश का बच्चा-बच्चा यह जानता है कि केवल भाजपा ही है जिसने भारतीय संस्कृति की रक्षा और पुनरोत्थान के अपने लक्ष्य से कभी समझौता नहीं किया. कौन नहीं जानता कि आज दुनिया भर में भारत की बढ़ी धाक भाजपा के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार की ही देन है. यह सर्वविदित है कि सम्राट अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव हैं, जिनकी आपस में तुलना की ही नहीं जा सकती. सम्राट अशोक का जीवन हमें जहां मानवीय भावनाओं पर सत्य और शांति की जीत की शिक्षा देता है, वहीं औरंगजेब का पूरा इतिहास ही लूट, हत्या और मंदिरों को तोड़ने जैसे कुकृत्यों से भरा हुआ है. सही मानसिकता वाला कोई भी शख्स न तो इन दोनों में तुलना कर सकता है और न ही इनकी तुलना करने वालो को तवज्जो दे सकता है. 

डॉ जायसवाल ने कहा कि याद करें कुछ नेता योग का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं और प्रभु श्री राम का जयकारा लगाने को बड़ी भूल मानते हुए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने का ड्रामा करते हैं साथ ही हिन्दू समाज को जाति में बांटने और अन्य धर्मों की चाटुकारिता करने में भी निरंतर लगे रहते हैं. ऐसे लोगों को तब न तो संस्कृति की याद आती है और न ही भारतीयता की. इससे स्पष्ट है कि न तो ये भगवान राम के हैं और न ही सम्राट अशोक के. इनकी छटपटाहट बस अपने फायदे के लिए है. उन्होंने कहा कि वास्तव में भाजपा और एनडीए की पीठ में छुरा घोंपने की यह मानसिकता राज्य के लिए ठीक नहीं है.

जानें ललन सिंह ने क्या कहा था....

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं। राष्ट्रपति से यह अनुरोध करते हैं कि ऐसे व्यक्ति को मिले पद्मश्री और अन्य पुरस्कार रद्द करें। भाजपा इन्हें निष्कासित करे। वृहत अखंड भारत के एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट प्रियदर्शी अशोक मौर्य का स्वर्णिम काल मानवता व लोकसमता के लिए विश्वभर में जाना जाता है। सम्राट अशोक बिहार व भारत के अमिट प्रतीक थे और हैैंं। कोई इससे खिलवाड़ करे यह सच्चे भारतीय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।  

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