तेजस्वी की इफ्तार में नहीं जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश सरकार को सुझाव- जश्न का नहीं जख्म पर मरहम लगाने का समय

पटना. बिहार की सियासत में इन दिनों दावत-ए-इफ्तार का दौर चल रहा है. उप उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रविवार को इफ्तार दे रहे हैं. उन्होंने इफ्तार में राज्य के सभी सियासी दलों को आमंत्रित किया है. सूत्रों के अनुसार इसमें रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने साफ तौर पर संकेत दे दिय है कि वे तेजस्वी की माँ राबड़ी के आवास में होने वाली इफ्तार में शामिल नहीं होंगे. यहां तक कि उन्होंने सत्ताधारी महागठबंधन को सुझाव दिया है कि यह समय जश्न मनाने का नहीं बल्कि जख्मों पर मरहम लगाने का है क्योंकि बिहार में दंगों की आग में कई शहर जले हैं. 

उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर लिखा- रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है। इफ्तार पार्टी का दौर शुरू हो गया है। मुझे भी कुछ प्रमुख जगहों से निमंत्रण मिला है/ मिल रहा है। पार्टी के कई साथियों ने रालोजद की ओर से इफ्तार पार्टी के आयोजन की सलाह मुझे भी दी है । उन्होंने लिखा, मेरी समझ से सासाराम, बिहार शरीफ आदि शहरों के वर्तमान हालात के मद्देनजर इफ्तार के नाम पर समारोह नहीं, बल्कि रोजेदारों की सहुलियत के प्रति गंभीर होना चाहिए क्योंकि फिलहाल जश्न नहीं जख्म पर मरहम की जरूरत है। शायद समारोह जले पर नमक छिड़कने जैसा न हो जाए।

रामनवमी के बाद बिहार के कई शहरों में तनाव की स्थिति देखने को मिली. विशेषकर सासाराम और बिहारशरीफ में जमकर उपद्रव देखने को मिला. इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू की ओर से इफ्तार का आयोजन किया गया. वहीं अब नीतीश के सहयोगी उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इफ्तार दे रहे हैं. ऐसे में इन इफ्तार पार्टियों पर तंज कसते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने सुझाव दिया है कि फिलहाल जश्न नहीं जख्म पर मरहम की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे जश्न शायद जले पर नमक छिड़कने जैसा न हो जाए. 

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दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर रहे हैं. वे पिछले दिनों नीतीश कुमार को लालू की पार्टी राजद से हाथ मिलाने पर इसे जंगलराज के लोगों से हाथ मिलाना कहा था. इसी को लेकर उन्होंने नीतीश से लग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली. साथ ही बिहार में कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाया. अब सासाराम और बिहारशरीफ की घटना के बहाने उन्होंने फिर से नीतीश सरकार पर हमला किया है. साथ ही इफ्तार जैसे समारोह को जले पर नमक छिड़कने जैसा न हो जाए कहा है.