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वरुण और मेनका गाँधी को भाजपा के स्टार प्रचारकों में जगह नहीं मिलना उनके सियासी कद को कम करने की कोशिश या संयोग

वरुण और मेनका गाँधी को भाजपा के स्टार प्रचारकों में जगह नहीं मिलना उनके सियासी कद को कम करने की कोशिश या संयोग

दिल्ली. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने की जुगत में लगी भाजपा ने बुधवार को अपने स्टार चुनावी प्रचारकों की सूची जारी की. लेकिन, इस सूची में न तो वरुण गाँधी को जगह मिली है और ना ही उनकी माँ मेनका गाँधी पर भाजपा ने चुनाव प्रचार का जिम्मा दिया है. 

नेहरु-गाँधी परिवार में संजय गाँधी की पत्नी और बेटे मेनका-वरुण पिछले लम्बे समय से भाजपा के साथ हैं. मेनका को केंद्र की मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहने का मौका भी मिल चुका है. वहीं वरुण गाँधी को भी भाजपा में कई प्रकार अहम जिम्मेदारी मिल चुकी है. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में प्रचारकों की सूची में दोनों माँ-बेटों को जगह नहीं मिलने से कई लोगों को हैरत हुई है. 

भाजपा के लिए मेनका और वरुण ऐसे चेहरे रहे हैं जिनका इस्तेमाल कांग्रेस और सोनिया-राहुल के खिलाफ पार्टी करती रही है. एक प्रकार से दोनों माँ-बेटों के चेहरों का इस्तेमाल भाजपा इस रूप में करती आई है कि दोनों को सोनिया-राहुल द्वारा उचित सम्मान और प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण उन्होंने भाजपा का दामन थामा. हालाँकि अब भाजपा ने चुनाव जैसे अहम मौके पर दोनों को स्टार प्रचारक में शामिल न करके उनके समर्थकों को बड़ी निराशा दी है. 


बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और मथुरा से सांसद हेमा मालिनी को जगह मिली है.

इस सूची से वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी का नाम गायब है जबकि दोनों ही उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए निर्वाचित है. वरुण गांधी पीलीभीत से, जबकि मेनका गांधी सुलतानपुर से सांसद हैं. इससे सियासी गलियारे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव के समय भी वरुण गांधी का नाम लिस्ट से गायब था. हालांकि तीसरे और चौथे चरण में उनका नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल हुआ था. उनकी मां मेनका गांधी को उस समय भी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह नहीं मिली थी.

पिछले कुछ महीनों के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर डालें तो वरुण गाँधी ने कई बार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित मोदी सरकार के कुछ निर्णयों पर भी आपत्ति जताई है. पार्टी लाइन से अलग हटकर बोलने पर वरुण पहले ही भी कह चुके हैं कि वे जनता से जुड़े मुद्दों पर बोलते रहेंगे, इसके लिए पार्टी लाइन मायने नहीं रखती. यहाँ तक कि वरुण ने किसनों के फसलों के एमएसपी सहित बकाया भुगतान, नाइट कर्फ्यू, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था को लेकर भी योगी सरकार को घेरा था. वरुण के इन सवालों पर पार्टी कई बार असहज हो चुकी थी. 

अब दोनों माँ बेटों को स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह नहीं मिलने से सियासी गलियारे में कई सवालों का जन्म हो गया है. खासकर अपना राजनीतिक कद बढ़ाने की जुगत में लगे वरुण गाँधी के लिए एक प्रकार से पार्टी ने परोक्ष रूप से साफ संकेत दे दिया है कि भाजपा उन्हें नियंत्रित रखना चाहती है. ऐसे में अब यह देखना महत्वपूर्व होगा की टिकट जारी होने में वरुण गाँधी और मेनका गाँधी से सलाह लिया जाता है या नहीं. 

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