औरंगाबाद. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सातवें चरण में मदनपुर प्रखंड में मतदान संपन्न होते ही घोड़ा डिहरी पंचायत का आंट गांव रणभूमि में तब्दील हो गया. वोटिंग समाप्त होते ही इस पंचायत से मुखिया पद का चुनाव लड़ रही देवजरा निवासी पम्मी देवी के देवर पवन सिंह उर्फ बाबू ने 50 की संख्या में समर्थकों के साथ प्रतिद्वंदी उम्मीदवार शोभा देवी के पति प्रेमचंद शेखर उर्फ पवन सिंह और उनके समर्थकों पर जानलेवा हमला बोल दिया. इस दौरान पवन उर्फ बाबू के समर्थकों ने न केवल विरोधी पक्ष पर जमकर लाठी डंडे एवं लोहे की रॉड बरसाए बल्कि दर्जनों राउंड फायरिंग भी की.
जानलेवा हमले में कई घायल
गोलीबारी में प्रेमचंद शेखर की जान तो बच गई, लेकिन लाठी डंडे और रॉड की पिटाई से वह गंभीर रूप से घायल हो गय है. घटना में करीब दर्जन भर लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनका इलाज मदनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और औरंगाबाद के सदर अस्पताल में चल रहा है. घायलों में दो की हालत गंभीर बताई जा रही है. औरंगाबाद सदर अस्पताल में भर्ती घायल प्रेम चंद शेखर बबलू सिंह एवं फागुनी भुईयां ने बताया कि पवन उर्फ बाबू ने अपने 40-45 समर्थकों के साथ उन पर जानलेवा हमला बोला है.
घायलों ने बताया कि मुखिया उम्मीदवार शोभा देवी के पक्ष में हुए भारी मतदान से पवन ने बौखला कर इस हमले को अंजाम दिया है. उन्हें पहले से ही हमले की आशंका थी. इसी वजह से उन्होने पहले ही पुलिस और प्रशासन को जानकारी दी थी, पर उनकी बातों का नोटिस नहीं लिया गया और प्रतिद्वंदी पक्ष ने हमला बोल दिया. बहरहाल पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है. वहीं स्थिति को तनावपूर्ण देखते हुए औरंगाबाद के पुलिस कप्तान कांतेश कुमार मिश्रा एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गौतम शरण ओमी ने दल बल के साथ गांव में कैम्प कर रखा है.
पूर्व मंत्री ने पुलिस-प्रशासन को दी चेतावनी
घायलों से मिलने सदर अस्पताल पहुंचे पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने घटना को लेकर पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा कि छोटी घटनाएं ही बड़ी घटना का कारण बन जाती है. आज से करीब 15 साल पहले भी चुनावी रंजिश में ही इसी इलाके में बहुचर्चित देवजरा कांड जैसी घटना हुई थी. गौरतलब है कि हमलावर पक्ष देवजरा कांड का ही पीड़ित परिवार है, जो नक्सलियों के निशाने पर रहा है और आज से करीब डेढ़ दशक पहले नक्सलियों ने इसी परिवार के मुखिया अशोक सिंह समेत उनके आधा दर्जन समर्थको को वाहन में ही गोली मारने के बाद जलाकर मौत के घाट उतार दिया था, जो उस वक्त जिला पार्षद पद का चुनाव लड़ रहे थे. इस मामले में पुलिस यदि सख्ती नहीं दिखाती है तो देवजरा कांड जैसी घटना की पुनरावृति से इंकार नहीं किया जा सकता.