डेस्क : महादेव का सबसे बड़ा व्रत महाशिवरात्रि इस साल 11 मार्च को पड़ने वाला है. हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत मनाने की परंपरा होती है. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्त भांग, धतूरा , दूध बेलपत्र,पुष्प आदि पूजा सामग्री चढ़ाते हैं.
हालांकि, कुछ ऐसी सामग्रियां है जिसे आप भगवान शिव को नहीं अर्पित कर सकते .शिव पुराण के अनुसार गलती से भी शिवलिंग पर हल्दी, कुमकुम, टूटे बेलपत्रऔरअक्षत को नहीं अर्पण करना चाहिए. इससे भगवान शिव नाराज हो सकते हैं. आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते है महा शिवरात्रि पर क्या करना चाहिए.
कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न
• यदि भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो इस दिन विधि विधान से उनका व्रत रखें, पूजा पाठ करें.
• इससे पहले सुबह उठकर स्नान जरूर करें तथा स्वच्छ कपड़े भी पहनें.
• ओम नमः शिवाय का जाप जरूर करें.
• इस दिन शिव चालीसा शिव की आरती स्रोत आदि का पाठ जरूर करें.
• सभी पूजा सामग्री पूजा जैसे की जल,दूध,भांग,इत्र,शक्कर,बेलपत्र अर्पित करना चाहिए .
इन 6 चीजों को भूल कर भी नहीं करें शिवलिंग पर अर्पित
महाशिवरात्रि पर भूलकर भी ना चढ़ाएं हल्दी
हल्दी का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है. इसे आयुर्वेद दवा के साथ-साथ सभी मांगलिक कार्य में इस्तेमाल में लाया जाता है. लेकिन, महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर भगवान को हल्दी चढ़ाना सही नहीं माना गया है क्योंकि शिव पुरुष तत्व को प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों के प्रसाधन में उपयोग किया जाता है.
शिवलिंग पर कुमकुम अर्पित करने से बचें
भगवान शिव को बैरागी कहा जाता है. जबकि, कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है. ऐसे में शिवलिंग पर कभी भी भूल कर भी कुमकुम अर्पित नहीं करनी चाहिए क्योंकि भगवान शिव तो विनाशक है .
टूटे हुए चावल न चढ़ाएं
अक्षत का प्रयोग लगभग हर पूजा-पाठ में किया जाता है और सभी पूजा में अक्षत चढ़ाने का नियम होता है. टूटे हुए अक्षत को अशुभ माना गया है. अतः शिवलिंग पर भी इसे चढ़ाने की भूल ना करें. ऐसा करने से आपके भाग्य आपका साथ नहीं देंगे.
तुलसी न अर्पित करें
तुलसी की पूजा की जाती है. इसे बेहद शुभ माना गया है. दरअसल, इसके पीछे एक कहानी है. शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नामक एक असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया.तुलसी की पत्तियां पूजा में काम आती है, लेकिन भगवान शिव की पूजा के लिए नहीं करना चाहिए। भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधरका वध किया था। इसलिए उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार किया. यही कारण है कि शिवलिंग पर से तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है
केतकी का फूल
शिवलिंग पर केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए. पौराणिक कथाओं की मानें तो केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था, जिससे क्रोधित होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि कभी भी शिव पूजा में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
टूटे बेलपत्र न करें अर्पित
भगवान शिव को कभी भी टूटे हुए बेल पत्र या फिर दो मुंह वाले बेलपत्र नहीं चढ़ाएं. हमेशा उन्हें पांच या तीन मुख वाले बेलपत्र अर्पित करें.
शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (किस मुहूर्त में भगवान का करे पूजन )
निशिथकाल: गुरुवार (11 मार्च) की रात्रि 12:12 से 01:01 बजे रात्रि तक.
प्रथम प्रहर: गुरुवार संध्या 06:29 से 09:32 बजे रात्रि तक.
द्वितीय प्रहर: रात्रि 09:33 से 12:36 बजे तक
तृतीय प्रहर: रात्रि 12:37 से 03:39 बजे तक
चतुर्थ प्रहर: गुरुवार मध्यरात्रि के उपरांत 12 मार्च की प्रात: 03: 41 से 06: 43 बजे तक.
शिवरात्रि पारण समय: शुक्रवार, 12 मार्च को प्रात: 06:34 बजे के बाद.
भगवान शिव के बारे में इतना ही कहा जाता है की यह बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है इसलिए इस बार तन –मन से भगवान को प्रसन्न करे और उनका आशीर्वाद पाए .