पटना. गृह मंत्री अमित शाह के 23 सितम्बर से शुरू हो रहे सीमांचल के पूर्णिया-किशनगंज दौरे के पहले बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई से जुड़े लोगों और उनके ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने छापेमारी की है. एनआईए की इस छापेमारी के बीच भाजपा प्रवक्ता डॉ रामसागर सिंह ने कहा है कि इस अमित शाह के दौरे से पीएफआई घबरा गई है. साथ ही साम्प्रदायिक को बढ़ावा देने वाले और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने वाले संगठन को बौद्धिक और नैतिक समर्थन देने वाले गठबंधन के दलों में खलबली मची हुई है.
उन्होंने कहा कि जदयू, राजद, कांग्रेस और वाम दल भी अब सीमांचल में रैली करने की बात कर रहे हैं लेकिन उन्हें सीमांचल में समर्थन नहीं मिलेगा. इसका कारण है कि एक ओर भारत के हितों की रक्षा करने वाली जनता है तो दूसरी ओर भारत के हितों पर चोट पहुँचाने वाले दल है. ऐसे में निश्चित रुप से ऐसे दलों को वहां जनता का साथ नहीं मिलेगा और उनकी रैली फ्लोफ़ होगी. दरअसल, 23 सितम्बर को अमित शाह का सीमांचल दौरा पूर्णिया से शुरू होगा. साथ ही शाह का किशनगंज भी जाने का कार्यक्रम है. सीमांचल का यह इलाका अल्पसंख्यक बहुल माना जाता है. ऐसे में भाजपा के प्रतिद्वंद्वी दल शाह के दौरे को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण से जोड़कर बता रहे हैं.
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आश्रम भेजने के राजद नेता शिवानंद तिवारी के बयान का भी डॉ रामसागर ने समर्थन किया. उन्होंने कहा, शिवानंद तिवारी ने सच्चे मित्र का फर्ज निभाया है. नीतीश कुमार का प्रदेश की जनता साथ देना छोड़ दिया है. 115 विधायकों से 43 पर लाकर पटक दिया है. यही कारण है कि अब राजद नेता शिवानंद तिवारी ने अपने दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के सामने ही नीतीश कुमार को आश्रम जाने की सलाह दे दी है. उन्हें अब राजनीति से सन्यास लेकर आश्रम जाना ही चाहिए. नीतीश कुमार के आश्रम के लिए राजगीर से बेहतर कोई जगह नहीं होगा. नीतीश कुमार इसके पहले भी जब जब पलटी मारें हैं वे राजगीर गए है. ऐसे में उन्हें अब राजनीति से सन्यास लेकर राजगीर जाकर आश्रम बनाकर रहना चाहिए.
दरअसल, बिहार में अमित शाह के दौरे और आज हुई एनआईए की छापेमारी पर राजनीति गरमाई हुई है. डॉ रामसागर सिंह के साथ ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पीएफआई भारत विरोधी काम करता है. पूर्णिया को उसने अपना सेंटर बनाया है. ये दुर्भाग्य है जब फुलवारी शरीफ में पीएफआई पर छापे पड़े तब पुलिस का निराशाजनक वक्तव्य आया था. नीतीश और लालू बाबू तुष्टीकरण की राजनीति पीएफआई की छापेमारी को लेकर करते हैं.