जिनकी सिफारिशों ने देश की सियासत को बदल डाला ... बीपी मंडल की जयंती पर सीएम नीतीशकी श्रद्धांजलि

जिनकी सिफारिशों ने देश की सियासत को बदल डाला ... बीपी मंडल क

पटना. पूर्व मुख्यमंत्री स्व० बीपी मंडल की जयंती पर रविवार को पटना में राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित अन्य अपनी श्रद्धांजलि दी. बीपी मंडल की जयंती पर उनकी आदमकद प्रतिमा पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। पटना के देशरत्न मार्ग एवं सर्कुलर कुलर पथ चौराहा स्थित आदमकद प्रतिमा के समीप जयंती के मौके पर राजकीय समारोह का आयोजन किया गया। 

कौन थे बीपी मंडल : बिंधेश्वरी प्रसाद मंडल उर्फ़ बीपी मंडल ने मंडल आयोग की अध्यक्षता की थी. मधेपुरा जिले के  बीपी मंडल 1968 में बिहार के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन उन्होंने 30 दिनों के बाद इस्तीफा दे दिया. लेकिन उनकी बड़ी पहचान मंडल आयोग की सिफारिशों को लेकर रही. एक सांसद के रूप में, उन्होंने दूसरे पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जिसे मंडल आयोग के रूप में जाना जाता है। आयोग की रिपोर्ट ने भारतीय आबादी के एक बड़े हिस्से को अन्य पिछड़ा वर्ग " (ओबीसी) के रूप में संगठित किया और भारतीय राजनीति में कम प्रतिनिधित्व वाले और वंचित समूहों से संबंधित नीतियों पर तीखी बहस शुरू की। वहीं राम मनोहर लोहिया से मतभेदों के कारण संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी छोड़ दी और मार्च 1967 में शोषित दल नामक एक नई पार्टी बनाई। उन्होंने 1 फरवरी 1968 को बिहार के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 

दरअसल,  बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त, साल 1918 को बनारस में हुआ. वे काफी धनी परिवार से थे और उनके पिता रासबिहारी लाल मंडल भी राजनीति में सक्रिय थे. तब रासबिहारी लाल मंडल वो व्यक्ति थे, जिन्होंने पिछड़ी जातियों के लिए जनेऊ पहनने की मुहिम चलाई थी. वैसे तो कहा जाता रहा कि ये काम प्रतिक्रियावादी था, लेकिन असल में ये एक पहल थी, रुढ़ियों को तोड़ने की. शुरुआती पढ़ाई बिहार के मधेपुरा से करने के बाद छात्र बीपी मंडल दरभंगा आ गए. यहां से उनका सामाजिक राजनीति में रुझान और साफ दिखने लगा था. 

जनवरी, 1979 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बीपी मंडल को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष चुना. इस जिम्मेदारी को उन्होंने निभाते हुए पूरी स्टडी की. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आयोग की रिपोर्ट को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था। एक दशक बाद, प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने मंडल रिपोर्ट की सिफ़ारिशों को लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप आज भारत में जाति-आरक्षण व्यवस्था के रूप में जाना जाता है, जो 1993 में लागू हुई. 

जयंती समारोह के अवसर पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष  नन्द किशोर यादव, सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री महेश्वर हजारी, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री रत्नेश सादा, विधान पार्षद वीरेन्द्र नारायण यादव, विधान पार्षद संजय कुमार सिंह उर्फ गांधीजी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, पूर्व मुख्यमंत्री स्व० बी०पी० मंडल जी के पौत्र डॉ मनीष मंडल, बिहार राज्य नागरिक परिषद् के पूर्व महासचिव अरविंद कुमार सिंह, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य शिवशंकर निषाद, जदयू नेता निखिल मंडल, जदयू नेता वीरेन्द्र सिंह दांगी सहित अनेक सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी पूर्व मुख्यमंत्री स्व० बी०पी० मंडल की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।