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हरि सहनी को भाजपा ने क्यों सौंपी सम्राट चौधरी वाली जिम्मेदारी... लोकसभा चुनाव के पहले जातीय समीकरणों के गणित को समझिये

हरि सहनी को भाजपा ने क्यों सौंपी सम्राट चौधरी वाली जिम्मेदारी... लोकसभा चुनाव के पहले जातीय समीकरणों के गणित को समझिये

पटना. भाजपा ने रविवार को एक बड़ा बदलाव करते हुए हरि सहनी को बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाया है. वे परिषद में अब सम्राट चौधरी की जगह नेता प्रतिपक्ष होंगे. हरि सहनी को पार्टी की ओर से मिली खास जिम्मेदारी के पीछे लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरणों को साधने के नजरिये से देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव के पूर्व भाजपा बिहार में सभी वर्गों को साधने की बड़ी रणनीति बना रही है. ऐसे में अब सहनी समाज से आने वाले हरि सहनी को खास जिम्मेदारी देकर पार्टी ने एक बड़ा जातीय समीकरण भी साधा है जिससे कई लोगों को झटका भी लगेगा.

मौजूदा समय में भाजपा ने जिन लोगों को अहम जिम्मेदारी दे रखी है उसमें बिहार प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सम्राट चौधरी हैं. सम्राट कुशवाहा जाति से आते हैं. वहीं बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में भूमिहार जाति से आने वाले विजय कुमार सिन्हा हैं. अब हरि सहनी को नई जिम्मेदारी दी गई है जो अति पिछड़ा समाज से आते हैं. ऐसे में पार्टी ने अलग अलग जातियों को अहम जिम्मेदारी देकर जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है.


हरि सहनी दरभंगा से हैं. वर्ष 2022 में एमएलसी बने हरि सहनी को परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाने की चर्चा लम्बे समय थी. हरि सहनी दरभंगा जिला में बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने 2005 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था. वहीं वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में केवटी विधानसभा से उम्मीदवार के रूप में हरि सहनी के नाम की घोषणा हुई. बाद में उनका टिकट कट गया था. 

वहीं बिहार में सहनी समाज की बातें करें तो राज्य में इस जाति की आबादी को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं. सहनी समाज में मल्लाह, निषाद जैसी की जातियां आती हैं. सन ऑफ़ मल्लाह के नाम से ख्यातनाम और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी दावा करते हैं कि बिहार में इस जाति की आबादी करीब 14 फीसदी है. साथ ही उनका इस जाति पर पकड़ है. हाल के दिनों में मुकेश सहनी लगातार सभी दलों को चुनौती दे रहे है. अब हरि सहनी को भाजपा ने नई जिम्मेदारी देकर जहाँ एक ओर अति पिछड़ा वर्ग को आकर्षित करने की कोशिश की है. वहीं दूसरी ओर मुकेश सहनी की काट के तौर पर भी हरि का इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में अति पिछड़ा समाज से आने वाले हरि सहनी को बड़ी जिम्मेदारी देकर पार्टी ने एक बड़ा संदेश देने का काम किया है. 



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