बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

Prashant Kishor: सीएम नीतीश के 'हथियार' से प्रशांत किशोर करेंगे JDU-BJP और RJD का शिकार, बिहार में अब होगा बड़का खेला...

Prashant Kishor target JDU, BJP and RJD

Prashant Kishor: जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से मसहूर प्रशांत किशोर अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी-राजद और जदयू को कड़ी टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। पीके ने बीते बुधवार(2 अक्टूबर) को अपने जन सुराज पदयात्रा को पार्टी का रुप दे दिया। पीके की पार्टी का कल औपचारिक घोषणा हो गया। इस दौरान पीके ने लोगों से कई वादे किए। पीके ने बिहार के तमाम बड़ी पार्टी, राजद, बीजेपी और जदयू के खिलफ मोर्चो खोल दिया है। और इस काम में पीके ने सीएम नीतीश के हथियार को ही अपना कर लिया है। पीके ने अपने एजेंडों में सबसे कोर एजेंडा शिक्षा को रखा है। जिसको पीके ने सीएम नीतीश के आंकड़ों को ही देख कर रखा है। 

बड़े उलटफेर की ओर बिहार 

इसके साथ ही महिलाओं, दलितों, बुजुर्गों और किसानों तक को साधने के लिए पीके ने बड़ी चाल चल दी है। और बिहार की जनता पीके के ऊपर भरोसा करते हैं तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलट-फेर देखा जा सकता है। पीके ने सीएम नीतीश के आकड़ों को हथियार बनाकर शिक्षा पर विशेष फोकस किया है। दरअसल, जाति सर्वे के दौरान सीएम नीतीश ने जातियों के आकड़े के साथ बिहार के लोगों की आर्थिक-शैक्षिक स्थिति के बारे में भी जानकारी जुटाया था। वहीं अब इन आंकड़ों का इस्तेमाल पीके अपनी पार्टी को चमकाने के लिए कर रहे हैं। 

शिक्षा कोर एजेंडा

जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी की घोषणा के साथ ही शिक्षा पर फोकस करने का ऐलान कर दिया। पार्टी के लांचिंग के दौरान उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा की स्थिति काफी खराब है और राज्य की 20 फीसदी आबादी निरक्षर है तो वहीं  25 फीसदी लोगों ने सिर्फ 1 से 5 वीं तक पढ़ाई की है। करीब 60 फीसदी लोगों ने आठवीं तक पढ़ाई की है। इसके बाद पीके ने बताया कि अगर जातियों के वर्ग के अनुसार देखे तो दलित समाज के 24 फीसदी लोग 5वीं कक्षा तक पढ़े हैं। ईबीसी के 24.65 फीसदी लोग मात्र 5वीं तक पढ़ाई किए हैं। 


सीएम के आंकड़ों को बनाया हथियार

इस दौरान प्रशांत किशोर ने ऐलान किया कि आने वाले 10 साल में शिक्षा के लिए काम करेंगे और शिक्षा पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगे। पीके ने लोगों को बताया कि वो इसके लिए टैक्स को ना बढ़ाकर बल्कि प्रदेश से शराबबंदी को हटा कर उससे मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल करेंगे। पीके ने कहा है वो बिहार में शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने का काम करेंगे। इसके साथ ही पीके ने अपनी पार्टी के संविधान में राइट टू रिकॉल की बात कही है। ज्ञात हो कि ये इस वादे को सबसे पहले जयप्रकाश नारायण ने किया था। वहीं उनके ही रास्ते पर चलते हुए पीके ने जन सुराज के संविधान में इसको जोड़ा है। 

पीके के निशाने पर BJP-JDU-RJD

इसके साथ ही किसानों और महिलाओं को अपने पक्ष में लाने के लिए भी पीके ने बड़ा दांव चला है। पीके ने कहा है कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनती है तो वो मनरेगा के पैसे किसानों के खाते में डॉरेक्ट भेंगे। किसान उस पैसे से मजदूर की व्यवस्था कर खेती कराएंगे। इसकी मांग पहले से ही बिहार सरकार से आरजेडी नेता कर रहे हैं। बड़ी बात ये है कि मनरेगा का पैसा केंद्र से मिलता है ऐसे में पीके इस वादे को पूरी कर पाएंगे या नहीं लेकिन इसके जरिए पीके ने किसानों को अपने पक्ष में लाने के लिए दांव चल दिया है। वहीं महिलाओं को पीके चार फीसदी ब्याज पर कर्ज देने की बात कही है। इस वादे से पीके ने आधी आबादी को अपनी ओर करने की कोशिश की है। साथ ही बुजुर्गों को दो हजार रुपए प्रति माह जीवन यापन देने का भी वादा पीके ने किया है।

 पीके के वादे होंगे पूरे ?  

वहीं युवाओं को शिक्षा के साथ साथ रोजगार का गांरटी पीके शुरू से दे ही रहे हैं। पीके ने कहा है कि अगले साल जो परदेसी छठ में बिहार आएंगे वो बिहार से बाहर नहीं जाएंगे क्योंकि तब तक जनसुराज की सरकार बिहार में ही रोजगार की व्यवस्था करेगी। बता दें कि, बिहार में अपनी सत्ता को लाने के लिए पीके जीन जान से जुट गए हैं। अपनी पार्टी का गठन करने के बाद पीके एक बार फिर बिहार के गांवों में घूमने निकलेंगे। पीके 2 अक्टूबर 2022 से बिहार के गांवों में घूम रहे हैं। अब तक वो तकरीबन प्रदेश के आधे जिले को कवर कर चुके हैं। पीके आगे भी अपनी यात्रा जारी रखने का ऐलान कर चुके हैं। पीके के तमाम ऐलान कहीं ना कहीं अन्य पार्टियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।  

Editor's Picks