Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ ना केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि साधु समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं की दीक्षा का आयोजन बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिसमें महिलाओं की संख्या में भी वृद्धि देखी गई है।
नागा साधुओं की दीक्षा का महत्व
नागा साधुओं को दीक्षा सिर्फ कुंभ के दौरान ही दी जाती है और यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस दीक्षा के माध्यम से वे सांसारिक जीवन से विरक्त होकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं। प्रयागराज कुंभ को सभी तीर्थों का राजा माना जाता है, इसलिए यहां दीक्षा लेने का विशेष महत्व है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
इस बार महाकुंभ में महिलाओं की संख्या में खासी वृद्धि देखी गई है। कई महिलाएं नागा साधु बनने के लिए दीक्षा ले रही हैं। यह एक सकारात्मक बदलाव है और यह दर्शाता है कि महिलाएं भी धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
महाकुंभ में 13 अखाड़े भाग ले रहे हैं, जिनमें शैव और वैष्णव दोनों संप्रदाय शामिल हैं। शाही स्नान के दौरान सभी अखाड़े एक क्रम से स्नान करते हैं। नागा साधुओं को दीक्षा लेने के लिए कई सालों तक साधना करनी होती है। महिलाओं की संख्या में वृद्धि के साथ ही विदेशी महिलाएं भी नागा साधु बन रही हैं।साधुओं का जीवन काफी सरल होता है, लेकिन वे आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं।
आधुनिकता का असर
हालांकि, साधुओं का जीवन आज भी काफी सरल है, लेकिन बदलते समय के साथ साधुओं के जीवन में भी बदलाव आ रहा है। आजकल कई साधुओं के पास मोबाइल फोन हैं और वे सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करते हैं।
महाकुंभ धर्म, संस्कृति और आध्यात्म का संगम है। यह आयोजन साधुओं को एक साथ लाता है और उन्हें एक-दूसरे के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है।