SCO समिट से निकली बड़ी तस्वीर , मोदी, पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी ने अमेरिका को दिया मजबूत संदेश, ताकते रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

SCO summit: शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन ने सोमवार को दुनिया को एक ऐसा पल दिया, जिसने वैश्विक राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है।

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, मोदी, पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी ने अमेरिका को दिया मजबूत संदेश- फोटो : X

SCO summit: चीन के तियानजिन शहर में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन ने सोमवार को दुनिया को एक ऐसा पल दिया, जिसने वैश्विक राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मंच पर एक साथ आगे बढ़े, मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया और कुछ पल तक आपस में बातचीत करते रहे। तीनों नेताओं की यह सहज और आत्मविश्वास से भरी बॉडी लैंग्वेज वैश्विक समीकरणों पर गहरा संदेश छोड़ गई।

यह तस्वीर ऐसे समय सामने आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाकर आर्थिक दबाव बढ़ाने की कोशिश की है। अर्थशात्री डॉ रामानंद पाण्डेय का कहना है कि SCO मंच पर मोदी, पुतिन और जिनपिंग का यह “मित्रतापूर्ण फ्रेम” अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए एक कूटनीतिक चेतावनी है कि एशिया और यूरेशिया के बड़े देश मिलकर वैश्विक व्यापार और सुरक्षा व्यवस्था में अपनी भूमिका को और मजबूत करेंगे।

दिलचस्प बात यह रही कि उसी दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मंच के किनारे खड़े होकर यह दृश्य देखते रहे। यह क्षण पाकिस्तान की सीमित भूमिका और भारत-रूस-चीन की बढ़ती नजदीकियों को भी बयां करता है।

बता दें SCO की स्थापना 2001 में हुई थी और आज इसमें रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और हाल ही में शामिल हुआ ईरान सदस्य हैं। संगठन का मकसद क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, आर्थिक विकास और व्यापारिक रिश्तों को बढ़ावा देना है। बीजिंग मुख्यालय वाला यह संगठन अब वैश्विक मंच पर नाटो के संतुलन के तौर पर देखा जाने लगा है।

समिट से इतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच भी अहम बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि विकास के साझेदार हैं। सीमा विवाद को निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में आगे बढ़ाने और मतभेदों को विवाद में न बदलने पर भी जोर दिया गया। खासतौर पर अमेरिकी टैरिफ नीति से उपजे आर्थिक तनाव के बीच दोनों देशों ने वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में अपनी सकारात्मक भूमिका पर सहमति जताई।

बहरहाल तियानजिन से निकली यह तस्वीर न सिर्फ SCO देशों की एकजुटता का प्रतीक बनी है, बल्कि अमेरिका और पश्चिमी शक्तियों को यह संदेश भी दे गई है कि एशिया की धुरी अब और मजबूत हो रही है। यह पल इतिहास में दर्ज हो सकता है, जब तीन महाशक्तियों ने साथ खड़े होकर नए वैश्विक संतुलन की नींव रखी।