करोड़ों रुपए केस मिलने के बाद Fir नहीं, हाईकोर्ट जज यशवंत वर्मा मामले पर बोले उप राष्ट्रपति - किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना

supreme court news - हाईकोर्ट जज के घर करोडों रुपए मिलने के बाद उन पर एफआईआर नहीं करने पर उप राष्ट्रपति ने सवाल उठाया है।

करोड़ों रुपए केस मिलने के बाद Fir नहीं, हाईकोर्ट जज यशवंत वर्मा मामले पर बोले उप राष्ट्रपति - किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना

New delhi - कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय तक बिल को अटकाए रखे जाने को लेकर टिप्पणी की थी राष्ट्रपति को भी तीन माह से ज्यादा समय तक बिल को लटकाने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी को खूब चर्चा मिली। अब उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज यशवंत शर्मा के घर में मिले करोड़ों रुपए को लेकर न्यायापालिका को ही निशाने पर ले लिया है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास से बड़े पैमाने पर कैश की बरामदगी से जुड़े मामले में एफआईआर दर्ज न किए जाने पर गुरुवार को सवाल उठाया और भड़कते हुए कहा कि क्या कानून से परे एक श्रेणी को अभियोजन से छूट हासिल है। 

क्या यह माफी योग्य है

धनखड़ ने कहा, ''अगर यह घटना उसके (आम आदमी के) घर पर हुई होती, तो इसकी (प्राथमिकी दर्ज किए जाने की) गति इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट सरीखी होती, लेकिन उक्त मामले में तो यह बैलगाड़ी जैसी भी नहीं है।'' धनखड़ ने कहा कि सात दिनों तक किसी को भी इसके बारे में पता नहीं चला। हमें खुद से सवाल पूछने होंगे। क्या देरी की वजह समझ में आती है? क्या यह माफी योग्य है? 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र जांच या पूछताछ के खिलाफ किसी तरह का सुरक्षा कवच नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना है।

सिर्फ ट्रांसफर

सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को होली की रात दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर लगी भीषण आग को बुझाने के दौरान वहां कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नोटों की अधजली गड्डियां बरामद होने के मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए थे। इसके अलावा, न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया गया था। 


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