Bihar Assembly elections 2025: NDA में सीट बंटवारे पर सियासी खींचतान तेज! चिराग पासवान-बीजेपी नेताओं की रातभर बैठकों में भी नहीं निकला हाल

Bihar Assembly elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ गया है। बीजेपी नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और नित्यानंद राय ने चिराग पासवान से देर रात बैठक की, लेकिन समाधान नहीं निकल सका।

सीटों को लेकर खींचतान जारी - फोटो : SOCIAL MEDIA

Bihar Assembly elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे का विवाद गहराता जा रहा है। बीजेपी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के बीच सीटों की संख्या और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं पर मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं।

गुरुवार को पूरे दिन चली सियासी बैठकों के बाद देर रात बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय फिर से चिराग पासवान के आवास पहुंचे। यह पिछले 24 घंटों में तीसरी बैठक थी, जिसने इस मुद्दे की गंभीरता को और स्पष्ट कर दिया।

25 मिनट चली बैठक, फिर भी नहीं निकला हल

सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक करीब 25 मिनट तक चली।बैठक समाप्त होने के बाद धर्मेंद्र प्रधान और नित्यानंद राय ने चिराग पासवान से हाथ मिलाया और बिना किसी औपचारिक घोषणा के रवाना हो गए। हालांकि, अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बातचीत में कुछ प्रगति जरूर हुई, लेकिन सीटों की संख्या और पसंदीदा विधानसभा क्षेत्रों पर मतभेद अब भी बने हुए हैं। यही वजह है कि एलजेपी (रामविलास) ने शुक्रवार को प्रस्तावित अपनी संसदीय बोर्ड की बैठक को स्थगित कर दिया। यह कदम इस बात का संकेत है कि चिराग पासवान तब तक फैसला नहीं लेंगे जब तक अंतिम समझौता नहीं हो जाता।

चिराग पासवान के कड़े रुख से बढ़ी बीजेपी की मुश्किल

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) कम सीटों पर समझौता करने के मूड में नहीं है। चिराग ने पहले भी कई बार कहा है कि उनकी पार्टी की भूमिका गठबंधन में बराबर की होनी चाहिए, न कि सिर्फ समर्थन देने वाली। बीजेपी चाहती है कि एलजेपी को सीमित सीटें दी जाएँ, ताकि जेडीयू (नीतीश कुमार) और अन्य सहयोगी दलों के साथ संतुलन बना रहे, लेकिन चिराग पासवान अपनी संगठनात्मक मजबूती और युवा समर्थन का हवाला देकर अधिक सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं।

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की नई चाल

जहां एक तरफ बीजेपी चिराग पासवान को मनाने में जुटी थी, वहीं दूसरी ओर बिहार की राजनीति में एक और बड़ा घटनाक्रम हुआ।वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अचानक राजद नेता तेजस्वी यादव से उनके आवास पर मुलाकात की।दोनों नेताओं के बीच सीट बंटवारे और राजनीतिक संभावनाओं पर लंबी चर्चा हुई।राजनीतिक गलियारों में यह मुलाकात संकेत मानी जा रही है कि अगर एनडीए में बात नहीं बनी तो मुकेश सहनी महागठबंधन की ओर रुख कर सकते हैं। इस कदम ने बीजेपी और एनडीए पर दबाव और बढ़ा दिया है, क्योंकि वीआईपी पार्टी की कुछ सीटों पर निर्णायक वोट बैंक है।

बीजेपी पर समय का दबाव, 12 अक्टूबर को केंद्रीय बैठक

एनडीए में चल रहे इस विवाद ने बीजेपी के लिए समय का संकट खड़ा कर दिया है। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक 12 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली है। बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि इस बैठक से पहले सीट बंटवारे का फॉर्मूला अंतिम रूप ले ताकि बिहार में गठबंधन की एकजुटता का संदेश दिया जा सके, लेकिन मौजूदा स्थिति में चिराग पासवान का सख्त रुख और मुकेश सहनी की खुली बातचीत की रणनीति ने एनडीए समीकरणों को जटिल बना दिया है।

एनडीए में असंतोष के संकेत

एनडीए के भीतर कुछ सहयोगी दलों का मानना है कि बीजेपी अगर सभी सीटों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करेगी तो इससे छोटे दलों में असंतोष बढ़ सकता है। एलजेपी (रामविलास) और वीआईपी जैसे दल सम्मानजनक सीट शेयरिंग” की मांग कर रहे हैं।अगर यह मांग पूरी नहीं होती, तो दोनों दलों के अलग रास्ता चुनने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

क्या अगले 24 घंटे में सुलझेगा मामला?

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या बीजेपी अगले 24 घंटों में सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय कर पाएगी या नहीं।क्योंकि देरी होने पर गठबंधन की एकजुटता पर असर पड़ सकता है।बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि गठबंधन में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन सभी दल एक साथ चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, एनडीए के अंदरूनी समीकरण और सीटों की खींचतान ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर सस्पेंस और रणनीति के दौर में ला खड़ा किया है।