Bihar Politics: चुनाव से पहले लालू-तेजस्वी का बड़ा 'सियासी दांव', शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब को दी बड़ी जिम्मेदारी, जानिए क्या हुआ बदलाव

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लालू यादव और तेजस्वी यादव ने बड़ी सियासी चाल चल दी है। लालू-तेजस्वी ने पार्टी में शहाबुद्दीन की पत्नी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।

लालू-तेजस्वी की सियासी चाल - फोटो : social media

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज है। इसी बीच राजद ने बड़ा सियासी दांव फेंका है। दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल(राजद) ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में बड़ा फेरबदल किया है। राजद ने देर रात इसका लिस्ट जारी किया है। वहीं चुनाव से पहले लालू यादव और तेजस्वी यादव ने मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने चुनाव अल्पंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्री पदाधिकारियों को नियुक्त किया है। 

हिना शहाब को बड़ी जिम्मेदारी 

नई पदाधिकारियों की सूची के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी ने इस विंग में 8 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, 14 राष्ट्रीय महासचिव, 24 राष्ट्रीय सचिव और 31 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नियुक्त किए हैं। सीवान के दिवंगत बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी दी गई है।

इन्हीं मिली जिम्मेदारी 

राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में हिना शहाब के अलावा फैयाज अहमद, मो. फैसल अली, मो. शहनवाज, मो. जावेद इकबाल अंसारी, मो. सैयद अबु दोजाना, मो. इसराइल मंसुरी और डॉ. आयशा फातिमा शामिल हैं। वहीं, राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता के तौर पर डॉ. शमीम अहमद, मो. अख्तरूल इस्लाम शाहीन, मो. इंजार नईमी, मो. साउद आलम, मो. इजहार आसफी, मो. युसुफ सलाउदीन और डॉ. एमएम हसन को नियुक्त किया गया है।

कौन है अली अशरफ फातमी

दरभंगा के अली अशरफ फातमी छात्र राजनीति से सक्रिय रहे हैं और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के महासचिव भी रह चुके हैं। रोज़गार की तलाश में सऊदी अरब जाने के बाद वे 1989 में भारत लौट आए और लालू प्रसाद यादव के साथ राजनीति शुरू की। 1991 में वे जनता दल के टिकट पर दरभंगा से सांसद बने। इसके बाद 1996 और 1998 में भी संसद पहुंचे। हालांकि, 1999 में उन्हें भाजपा नेता कीर्ति आजाद से हार का सामना करना पड़ा। 2004 में जीत दर्ज करने पर वे यूपीए सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बने।

कोर वोटरों को मजबूत करने की रणनीति

2017 में तेजस्वी यादव से मतभेद के बाद फातमी ने जेडीयू का दामन थाम लिया, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से पहले दोबारा राजद में लौट आए। इस बार मधुबनी से चुनाव लड़ा, हालांकि सफलता नहीं मिल सकी। RJD के इस फैसले को मुस्लिम मतदाताओं पर पकड़ मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। मालूम हो कि मुस्लिम वोटर राजद के कोर वोटर माने जाते हैं।