अब उत्तर-दक्षिण बिहार की दूरी हो जाएगी 100 किमी कम, पटना से डेढ़ घंटे में तय होगा 150 किमी का सफर
मोकामा में राजेंद्र सेतू के समानांतर बनाया गया औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा ब्रिज का पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे. इससे 22 अगस्त से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच की दूरी भी 100 किमी कम जाएगी.

Six-lane Ganga Bridge: बिहार को दो हिस्सों में बांटने वाली गंगा पर मोकामा में बने छह लेन के पुल का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इससे एक ओर जहां उत्तर और दक्षिण बिहार के कई जिलों की दूरी 100 किलोमीटर तक कम जाएगी, वहीं पटना से बेगूसराय जैसे जिले का सफर महज डेढ़ से दो घंटे में पूरा होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अगस्त को बिहार को कई प्रमुख सौगातें देने जा रहे हैं। इसमें दो बेहद खास हैं, पहला, देश का सबसे चौड़ा पहला छह लेन पुल शामिल है। यह पुल औटा (मोकामा) से सिमरिया (बेगूसराय) के बीच बना एक्सपैंशन केबल तकनीक से बना हुआ है। दूसरा, बुद्ध सर्किट से जुड़ स्थलों को जोड़ता हुए एक ट्रेन शामिल है। यह ट्रेन वैशाली से शुरू होकर नालंदा, राजगीर, गयाजी होते हुए कोडरमा (झारखंड) तक जाएगी। बिहार और झारखंड में मौजूद बुद्ध से जुड़े सभी स्थलों को यह ट्रेन एक साथ जोड़ेगी।
बेगूसराय जिला का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सिमरिया धाम से शुरू होने वाला यह पुल पुराने दो लेन रेल सह सड़क पुल राजेंद्र सेतू के समानांतर बनाया गया है। सिमरिया धाम प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्मस्थान भी है। देश के अन्य छह लेन पुलों से इसकी चौड़ाई अधिक छह लेन के इस पुल की चौड़ाई 34 मीटर है। आमतौर पर छह लेन के पुल की चौड़ाई 29.5 मीटर होती है, लेकिन सिमरिया पुल की चौड़ाई (डेक) 34 मीटर है। देश में मौजूद अन्य छह लेन पुलों की तुलना में यह साढ़े चार मीटर अधिक चौड़ा है। इससे अधिक संख्या में वाहनों की आवाजाही बेहद सुगमता से हो सकेगी। इसके निर्माण पर 1871 करोड़ रुपये का खर्च आया है। एप्रोच समेत इस पुल की कुल लंबाई 8.150 किमी है। गंगा नदी पर इसकी लंबाई 1.86 किमी है।
उत्तर-दक्षिण बिहार की दूरी 100 किमी हो जाएगी कम
पुल पर आवागमन शुरू होते ही उत्तर से दक्षिण बिहार के बीच 100 किमी की दूरी कम हो जाएगी। साथ ही पश्चिम बंगाल, झारखंड और असम से भी आवागमन की दूरी कम हो जाएगी और आना-जाना आसान हो जाएगा। बिहार में यह पुल है, जिसे हैम (हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल) मोड में बनाया गया है। इस मोड में निर्माण एजेंसी को 60 फीसदी राशि खर्च करनी पड़ती है। जबकि सरकार सिर्फ 40 फीसदी राशि खर्च करती है। टोल टैक्स के माध्यम से एजेंसी अपनी लागत वसूल करती है। इस मोड पर इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद राज्य के सड़क एवं पुल के अन्य प्रोजेक्ट भी इसी मोड पर बनाने का रास्ता खुल गया है।
2005 के बाद बिहार में गंगा पर बने 14 पुल
बिहार में गंगा नदी पर 2005 के पहले चार प्रमुख पुल मौजूद थे। इसमें बक्सर में दो लेन का वीर कुंवर सिंह सेतु, पटना में चार लेन का महात्मा गांधी सेतु, बेगूसराय में दो लेन का राजेंद्र सेतु और 2 लेन का विक्रमशीला सेतु शामिल है। परंतु 2005 के बाद से अब तक 14 पुल तैयार किए गए। इसमें बक्सर में वीर कुंवर सिंह सेतु के समानांतर 2 लेन पुल, पटना में दो लेन रेल सह सड़क पुल जेपी सेतु, आरा-छपरा 4 लेन पुल, बेगूसराय में राजेंद्र सेतु के समानांतर 6 लेन पुल और मुंगेर घाट में 2 लेन रेल सह सड़क पुल शामिल है।
गंगा पर ये पुल जल्द होने जा रहे तैयार
इसके अतिरिक्त गंगा नदी पर बने अभी 9 ऐसे पुल हैं, जिनकी कार्य अभी प्रगति पर है। जल्द ही इनका निर्माण पूरा हो जाएगा। बक्सर में वीर कुंवर सिंह सेतु के समानांतर अतिरिक्त 3 लेन पुल, पटना में जेपी सेतु के समानांतर 6 लेन पुल, सारण जिला में दीघवारा-शेरपुर 6 लेन पुल, पटना में महात्मा गांधी सेतु के समानांतर 4 लेन पुल, पटना सिटी में 6 लेन कच्ची दरगाह-बिदुपुर पुल, बख्तियारपुर-ताजपुर पर 4 लेन पुल, विक्रमशीला के समानांतर 4 लेन पुल, अगुवानी घाट-सुल्तानगंज 4 लेन पुल तथा मनिहारी घाट से साहेबगंज के बीच 4 लेन पुल शामिल है। इसके अलावा रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे पर मटिहानी से शाम्हो पुल भी गंगा नदी पर बन रहे पुलों की फेहरिस्त में 15वें नंबर पर है। इसकी विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन कार्य की स्वीकृति प्रक्रियाधीन है।