Bihar Politics: नीतीश कैबिनेट का 'अपशकुनी' विभाग ! प्रभार मिलने के बाद मंत्रियों का शुरु होता है 'बैड लक', चली जाती है कुर्सी?

Bihar Politics: बिहार की नई सरकार का गठन हो गया है। गुरुवार को सीएम नीतीश के साथ 26 अन्य ने मंत्री पद की शपथ ली। सीएम नीतीश रिकॉर्ड 10वीं बार सीएम पद की शपथ ली। वहीं सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने दूसरी बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। राज्यपाल ने सभी को शपथ दिलाई। इसके साथ ही एक बार फिर बिहार की सत्ता पर नीतीश कुमार काबिज हो गए हैं। फिलहाल मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है। जल्द ही विभागों का भी बंटवारा तय हो जाएहा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नीतीश कैबिनेट में एक ऐसा विभाग है। जिसके मिलने के बाद मंत्रियों का बैड लक शुरु हो जाता है। यह मंत्रालय इतना अपशकुन है कि मंत्री की कुर्सी तक छीन जाती है। 

बिहार की राजनीति में 'अपशकुनी विभाग' 

सूत्रों की मानें तो कई पुराने मंत्रियों को उनके ही विभाग वापस मिल सकते हैं, जबकि कुछ महत्वपूर्ण विभाग नए चेहरों को सौंपे जा सकते हैं। इसी बीच एक बार फिर उस विभाग की चर्चा जोर पकड़ रही है, जिसे बिहार की राजनीति में ‘अपशकुनी विभाग’ कहा जाता है। पिछले कई वर्षों में यह विभाग बिहार के विकास और उद्योग विस्तार की दृष्टि से सबसे अहम माना गया है, लेकिन अजीब संयोग यह रहा है कि इस विभाग को संभालने वाले मंत्री या तो चुनाव हार गए, या फिर सरकार बदलने के कारण उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।

उद्योग विभाग का ‘अपशकुन’, क्या यह सिर्फ संयोग?

बिहार की राजनीति में वैज्ञानिक तर्कों से अधिक अक्सर ‘जातीय गणित’ और ‘राजनीतिक मान्यताओं’ को तरजीह दी जाती है। ऐसे में नीतीश कुमार की नई कैबिनेट के गठन के बाद फिर से उद्योग विभाग को लेकर अपशकुन की चर्चाएं तेज हो गई हैं। पिछले तीन वर्षों का रिकार्ड यह संकेत देता है कि इस विभाग से जुड़े कई मंत्रियों का राजनीतिक सफर अचानक झटका खा गया।

शहनवाज़ हुसैन प्लेन में मंत्री, उतरते ही भूतपूर्व

कथित तौर पर इसके पहले उदाहरण शहनवाज हुसैन हैं। साल 2021 में बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन को विधान परिषद के माध्यम से उद्योग मंत्री बनाया गया था। उन्होंने इस विभाग के लिए कई काम किए। कई बड़े कदम उठाए, लेकिन अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने अचानक एनडीए से नाता तोड़ महागठबंधन का दामन थाम लिया। अचानक नीतीश कुमार के पलटी मारने से उनसे कुर्सी छीन गई। तब शहनवाज हुसैन ने एक बयान दिया था जिसकी चर्चा आज भी होती है। तब शहनवाज हुसैन ने कहा था कि वो प्लेन में चढ़े तो मंत्री थे प्लेन से उतरे तो भूतपूर्व हो गए। 

फिर समीर महासेठ को विभाग ने दिया झटका

वहीं महागठबंधन में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार ने फिर से सरकार की गठन की और नई कैबिनेट बनी। इसमें राजद के समीर महासेठ को उद्योग विभाग मिला। समीर महासेठ इस विभाग को संभाल ही रहे थे कि 2024 में सीएम नीतीश फिर पलटी मारकर एनडीए में शामिल हो गए। जिसके बाद समीर महासेठ की कुर्सी चली गई। समीर महासेठ की कुर्सी तो गई ही साथ ही 2025 के चुनाव में वे मधुबनी से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उम्मीदवार माधव आनंद से चुनाव भी हार गए। कथित तौर पर अपशकुनी विभाग का असर ऐसा रहा है कि विधायक की कुर्सी भी समीर महासेठ से छीन गई। 

नीतीश मिश्रा से भी छीनी कुर्सी 

एनडीए में वापसी के बाद 2024 में बीजेपी नेता डॉ. नीतीश मिश्रा को उद्योग मंत्रालय सौंपा गया। उन्होंने एक साल में कई उल्लेखनीय कार्य किए। बावजूद इसके, 2025 के चुनाव में जीत दर्ज करने के बावजूद उन्हें नई कैबिनेट में जगह नहीं मिली। इसके बाद उद्योग विभाग पर लगे ‘अपशकुन’ की चर्चा फिर जोर पकड़ने लगी है। दरअसल, बिहार की राजनीति में उद्योग विभाग ही नहीं, बल्कि वित्त विभाग भी उन विभागों में गिना जाता है, जहां मंत्री अक्सर राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हैं। अब सबकी नजर नए उद्योग मंत्री पर है। नई कैबिनेट में उद्योग मंत्रालय किसे मिलेगा, इस पर राजनीतिक हलकों में उत्सुकता बढ़ गई है। क्या नया उद्योग मंत्री इस ‘अपशकुन’ को तोड़ पाएगा, या यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। यह आने वाले दिनों में साफ होगा।