राघोपुर को सिंगापुर बनाने के नीतीश के प्लान से घबराए तेजस्वी यादव! अब इस सीट से चुनाव लड़ने का लिया फैसला?
लालू परिवार की 35 वर्षो से पारंपरिक सीट रही राघोपुर को सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने की योजना है. जल संसाधन विभाग ने भी कार्ययोजना तैयार की है, तेजस्वी यादव को उनके विधानसभा क्षेत्र राघोपुर में ही एनडीए घेर रहा है.
N4N डेस्क: राघोपुर को सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। जल संसाधन विभाग ने भी कार्ययोजना तैयार की है। बीते शनिवार को मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने एक्स हैंडल पर यह जानकारी दी कि राघोपुर के विकास के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है. मुख्यमंत्री के एक्स हैंडल पर उनके द्वारा दी गयी जानकारी की राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा है. मुख्यमंत्री ने यह बताया कि राघोपुर में अब निवेश के नए रास्ते बनेंगे, जिसमें युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इससे राघोपुर दियारा तथा उसके पूर्वी एवं पश्चिमी इलाके में विकास की असीम संभानाएं उत्पन्न हुई हैं. इसी महीने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कच्चीदरगाह-बिदुपुर छह लेन पुल के राघोपुर तक के हिस्से का उद्घाटन किया था. राघोपुर पहली बार इस पुल के रास्ते पटना से सीधे सड़क से जुड़ा है. उसी दिन से एनडीए ने राघोपुर के विकास को केंद्र में लाकर तेजस्वी को उनके विधानसभा क्षेत्र में घेरना शुरू कर दिया था.
पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने पुल के 23 जून को हुए उद्घाटन के तुरंत बाद यह वक्तव्य दे डाला कि तेजस्वी यादव को पुल के उद्घाटन समारोह में बुलाया गया था पर वह नहीं आए. विदिट हो कि राघोपुर सीट 35 साल से लालू यादव और उनके परिवार के पास है, लेकिन का काम नहीं करा पाए. नीतीश के राज में राघोपुर में गंगा पर एशिया का सबसे बड़ा पुल बना है. स्थानीय स्तर पर कई अन्य काम हुए हैं. चूंकि, राघोपुर बिहार के दियरा क्षेत्र में स्थिति है, इसलिए गंगा पर पुल बन जाने से यहां के लोग सीधे पटना सहित कई जिलों से जुड़ गए हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की ओर से आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी घोषित 'सीएम फेस' हैं. इसके बावजूद गौर करने वाली बात यह है कि सूबे से सबसे बड़े सियासी परिवार का 'वारिस' यह युवा नेता परिवार की परंपरागत सीट 'राघोपुर' से चुनाव जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है. यही वजह है कि उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तरह तेजस्वी यादव भी 2 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं. राष्ट्रीय जनता दल के सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है, लेकिन आरजेडी प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि कर दी है कि वो मधुबनी जिले के फुलपरास सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं. इस सीट से साल 1977 में कर्पूरी ठाकुर विधायक रह चुके हैं. वह बिहार के सीएम भी बने थे.
फुलपरास से चुनाव लड़ेंगे तेजस्वी
तेजस्वी यादव के फुलपरास सीट से भी चुनाव लड़ने पर आरजेडी प्रवक्ता ऋषिकेश कुमार ने एक न्यूज डिबेट में कहा कि तेजस्वी यादव के लिए फुलपरास दूसरी सीट खोजी गई है, जहां से वह चुनाव लड़ेंगे. फुलपरास यादव बहुल सीट है. ऋषिकेश कुमार ने आगे कहा, इंडिया गठबंधन की स्थित उत्तर बिहार में बहुत खराब है. इस क्षेत्र की 130 सीटों में 100 से ज्यादा सीटों एनडीए के पास है. करीब 65 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर बीजेपी और जेडीयू का कब्जा है. उत्तर बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल में इंडिया गठबंधन के आरजेडी और कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है. दरभंगा में एक मधुबनी में 2020 में आरजेडी सिर्फ दो सीटें जीत पाई थी.
आरजेडी प्रवक्ता ऋषिकेश कहा कि यही वजह है कि आरजेडी ने उत्तर बिहार में इंडिया गठबंधन की स्थिति को मजबूत करने के लिए फुलपरास से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है, ताकि उसका असर दरभंगा, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सहरसा, शिवहर, सीमांचल में आने वाले जिलों पर पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके. एनडीए के पास दक्षिण बिहार से सिर्फ 25 सीटों आई थी. इस क्षेत्र में एनडीए के तिलिस्म को रोकने के लिए रेणु कुशवाहा व कुछ अन्य नेताओं को आरजेडी में शामिल कराया गया है.
नीतीश के विकास से डर गए है तेजस्वी
वही राजद प्रवक्ता के दावे यानि जहां से पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर चुनाव लड़े थे वहां से भी चुनाव लड़ने का फैसला लिया है के उलट प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है, राघोपुर में सीएम नीतीश कुमार के विकास की रफ्तार देख तेजस्वी यादव को हार का डर सता रहा है. सच यह है कि वो कहीं से भी चुनाव लड़ लें, इस बार उन्हें दांतों तले चने चबाने होंगे. बिहार की जनता उन्हें सबक सिखाएगी. बिहार की जनता जंगलराज टू की बात सुनकर आज भी सिहर उठता है.