Bihar Flood:बिहार में बाढ़ का कहर, नीतीश का एरियल सर्वे, 25 लाख लोग अब भी पानी में घिरे
Bihar Flood: बिहार में बारिश और बाढ़ का सितम थमने का नाम नहीं ले रहा। गंगा नदी के जलस्तर में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन बाढ़ का प्रकोप अब भी लाखों लोगों की जिंदगी को बेहाल कर रहा है।

Bihar Flood: बिहार में बारिश और बाढ़ का सितम थमने का नाम नहीं ले रहा। गंगा नदी के जलस्तर में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन बाढ़ का प्रकोप अब भी लाखों लोगों की जिंदगी को बेहाल कर रहा है। भोजपुर, भागलपुर, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार और मुंगेर समेत कई जिलों में हालात गंभीर बने हुए हैं। खेत डूब चुके हैं, सड़कें टूट चुकी हैं, और गांव के गांव जलमग्न हैं।
इसी बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हेलीकॉप्टर से एरियल सर्वे करने निकले। उनके साथ आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सर्वे के दौरान सीएम ने बाढ़ राहत और आपदा प्रबंधन से जुड़े अहम निर्देश दिए, जिसमें प्रभावित परिवारों के बीच अनुग्रह राहत राशि का तत्काल वितरण और किसानों को फसल क्षति का मुआवज़ा देने की बात शामिल है।
सीएम ने प्रशासन को सख्त हिदायत दी कि नदी किनारे के इलाकों में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए 24×7 अलर्ट रहें और प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाएं। उन्होंने पथ निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग को भी आदेश दिया कि बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों का तुरंत पुनर्स्थापन कर आवागमन बहाल किया जाए।
इससे पहले, बुधवार को एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीएम ने राहत कार्यों की उच्चस्तरीय समीक्षा की थी। बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल, और अन्य शीर्ष अधिकारी मौजूद थे, जबकि संबंधित जिलों के डीएम वर्चुअल माध्यम से जुड़े।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने जानकारी दी कि गंगा नदी किनारे के 10 जिले विशेष रूप से प्रभावित हैं। इन 10 जिलों के 54 प्रखंडों की 348 पंचायतों में लगभग 25 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। एनडीआरएफ की 7 और एसडीआरएफ की 9 टीमें, 60 मोटर बोट और 1233 नावों के साथ राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 52,573 पॉलीथीन शीट और 1,800 सूखा राशन पैकेट वितरित किए गए हैं।
हालात यह हैं कि कई इलाकों में लोग नाव और अस्थायी बेड़ों के सहारे रोज़मर्रा की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। सरकारी दावों के बावजूद, कई जगह पेयजल, दवा और सूखे राशन की कमी जैसी समस्याएं कायम हैं। खेतों में पकी हुई फसलें पानी में सड़ रही हैं, जिससे किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है।