Gold Return: सोने ने शेयर बाजार को पछाड़ा! दिया 200 फीसदी का रिटर्न, जानिए क्यों चमक रहा है गोल्ड और क्या है निवेश का भविष्य?

Gold Return: पिछले 6 वर्षों में सोने ने शेयर बाजार को पछाड़ते हुए 200% से ज्यादा रिटर्न दिया है। जानिए इसकी कीमतें क्यों बढ़ीं, आगे क्या उम्मीद है और निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की राय।

बाजार में सोने का जलवा!- फोटो : SOCIAL MEDIA

Gold Return: पिछले कुछ वर्षों में अगर कोई एसेट क्लास अपनी चमक से निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा है, तो वह है सोना। मई 2019 में जहाँ इसकी कीमत ₹30,000 प्रति 10 ग्राम थी, वहीं जून 2025 तक यह ₹1,00,000 के पार जा पहुँची। यानी लगभग 200 प्रतिशत रिटर्न, जो किसी भी पारंपरिक निवेश साधन—खासकर शेयर बाजार—से कई गुना बेहतर है।

वहीं, इसी दौरान निफ्टी-50 ने लगभग 120 प्रतिशत रिटर्न दिया है। ये आँकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि गोल्ड ने सिर्फ सुरक्षित एसेट ही नहीं बल्कि बेहतर प्रदर्शन करने वाला निवेश विकल्प भी बनकर उभरा है।

आइए एक नजर डालते हैं पिछले वर्षों में सोने के सालाना रिटर्न पर:

2016: 11.35%

2017: 5.11%

2018: 7.91%

2019: 23.79%

2020: 27.97%

2022: 13.19%

2023: 15.37%

2024: 20.61%

2025 (अब तक): 30.40%

इस रिटर्न ट्रेंड से स्पष्ट है कि COVID-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन के दौरान सोना सबसे अधिक डिमांड में रहा।

क्यों लगातार बढ़ रही हैं सोने की कीमतें?

सोने को पारंपरिक रूप से "सुरक्षित निवेश" के रूप में देखा जाता रहा है। जब भी दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है—चाहे वह आर्थिक हो, राजनीतिक या भू-राजनीतिक—तब निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं।

पिछले छह वर्षों में जो प्रमुख घटनाएं सोने की कीमतों को प्रभावित कर चुकी हैं, उनमें शामिल हैं:

COVID-19 महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने कच्चे तेल की कीमतों और सप्लाई चेन पर असर डाला।

ग्लोबल मुद्रास्फीति (महंगाई) लगातार उच्च स्तर पर बनी रही।

केंद्रीय बैंकों द्वारा की गई रेकार्ड स्तर की गोल्ड खरीदारी।

इन सभी घटनाओं का एक साझा असर रहा कि निवेशक सुरक्षा और स्थायित्व की तलाश में सोने की ओर बढ़े। हाल ही में अमेरिकी टैरिफ पॉलिसीज और फेडरल रिजर्व की नीति में बदलाव से भी सोने को मजबूती मिली।

क्या सोने की चमक आगे भी बरकरार रहेगी?

इस सवाल का जवाब बाजार विशेषज्ञों और आंकड़ों दोनों में छिपा है। 2025 की पहली छमाही में शानदार प्रदर्शन के बाद, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दूसरी छमाही में भी सोने की तेजी जारी रह सकती है। कारण हैं:

ब्याज दरों में संभावित कटौती: फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंक इस ओर बढ़ सकते हैं।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती: विकास दर की धीमी गति भी सोने के पक्ष में जाती है।

मध्यम अवधि की रणनीति: अगर कीमतों में कुछ गिरावट आती है, तो निवेशकों के लिए यह खरीदने का सुनहरा अवसर हो सकता है।Ya Wealth के डायरेक्टर अनुज गुप्ता के अनुसार पांच-छह साल पहले गोल्ड में निवेश करने वाले निवेशक मौजूदा कीमतों पर आंशिक मुनाफावसूली पर विचार कर सकते हैं। साल के अंत तक कीमतें 3,500-3,700 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस तक जा सकती हैं और MCX गोल्ड ₹1,03,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुँच सकता है।"

निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?

अगर आप नए निवेशक हैं या अपनी पोर्टफोलियो में विविधता चाहते हैं, तो यह सोने में निवेश करने के लिए एक उपयुक्त समय हो सकता है,लेकिन सोच-समझकर।

निवेशकों के लिए कुछ सुझाव:

अगर कीमतें कुछ गिरती हैं, तो "Buy on Dips" की रणनीति अपनाएं।लंबी अवधि के लिए निवेश करें, खासकर यदि आपका लक्ष्य वेल्थ प्रिजर्वेशन है।ETFs, गोल्ड बॉन्ड्स या डिजिटल गोल्ड जैसे विकल्पों पर विचार करें।फिजिकल गोल्ड खरीदते समय हॉलमार्किंग और टैक्स का ध्यान रखें।