Bihar Crime: 'न्याय' की लंका में 'पुलिस' का तेल, 11 साल की बच्ची के साथ रेप, 4 दिन बाद 'जागी' पुलिस, थानेदार समेत 3 हुए सस्पेंड

Bihar Crime:एसएसपी ने तुर्की थाने के थानेदार प्रमोद कुमार, ओडी ऑफिसर मंजर अहमद खान और गश्ती पदाधिकारी जमादार सलीमुद्दीन फरीदी को निलंबित कर दिया है.

एसएसपी ने थानेदार समेत तीन को किया सस्पेंड- फोटो : social Media

Bihar Crime: मुजफ्फरपुर के तुर्की थाने में एक 11 साल की बच्ची के साथ हुए रेप का मामला पुलिस की 'काबिले-तारीफ' कार्यशैली का जीता-जागता नमूना पेश कर रहा है. घटना को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन 'आरोपी' पुलिस की गिरफ्त से ऐसे बाहर है, जैसे धरती पर ऑक्सीजन! लगता है पुलिस को 'पकड़म-पकड़ाई' का शौक कुछ ज़्यादा ही है, तभी तो आरोपी मुकेश राय को पूछताछ के बाद बिना FIR के ही छोड़ दिया गया. वाह रे पुलिस, जनता की सुरक्षा से ज़्यादा तो आरोपी की 'आजादी' प्यारी है!

इस 'लाजवाब' लापरवाही के लिए एसएसपी सुशील कुमार ने तुर्की थाने के थानेदार प्रमोद कुमार, ओडी ऑफिसर मंजर अहमद खान और गश्ती पदाधिकारी जमादार सलीमुद्दीन फरीदी को निलंबित कर दिया है. एसएसपी साहब ने कहा है कि रेप जैसे गंभीर अपराध में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. तो 4 दिन तक क्यों  बर्दाश्त की गई जनाब?  जब तक जनता और मीडिया का दबाव न बने, तब तक पुलिस की आत्मा कुंभकर्णी नींद में ही सोती रहती है क्या? आरोपी मुकेश राय अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है, लेकिन उसके तीन 'प्यारे' रिश्तेदारों को हिरासत में ले लिया गया है. इनमें दो महिलाएं और एक पुरुष हैं. शायद पुलिस को लगता है कि रिश्तेदार ही आरोपी को 'आशिक़ाना अंदाज़' में ठिकाने लगाने में मदद करेंगे. कोर्ट ने गैर जमानती वारंट भी जारी कर दिया है. अब तो आरोपी को ढूंढना ही पड़ेगा, वरना पुलिस की 'इज्ज़त' का क्या होगा?

सोमवार रात जब पुलिस आरोपी को पकड़ने गांव पहुंची, तो 'आक्रोशित' ग्रामीणों से झड़प हो गई. ग्रामीण एसपी विद्या सागर को मौके पर पहुंचना पड़ा और 48 घंटे में गिरफ्तारी का भरोसा दिलाना पड़ा. अरे वाह, पुलिस अब 'समय-सीमा' भी तय कर रही है! क्या इससे पहले पुलिस के पास कोई टाइम-टेबल नहीं था?

यह पूरा मामला पुलिस के 'अद्भुत' और 'अविश्वसनीय' रवैये पर गंभीर सवाल खड़े करता है. क्या पुलिस सिर्फ कागजों पर ही 'कानून का राज' कायम रखती है? क्या किसी मासूम बच्ची को न्याय मिलने में भी इतनी देरी और इतनी 'लापरवाही' सहनी पड़ेगी? या फिर पुलिस को 'जागने' के लिए हर बार किसी ऐसे ही 'कटाक्ष' की ज़रूरत पड़ेगी?