Bihar Election 2025: सीवान-महराजगंज में किसके सिर सजेगा ताज? शहाबुद्दीन के बेटे और मंगल पांडे को कितनी मुश्किल, 8 विधानसभा सीटों की जानिए रिजल्ट !

Bihar Election 2025:सीवान जिले में 8 विधानसभा सीट है। जिसमें सीवान जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया, गोरियाकोठी और महाराजगंज शामिल है। इन सभी विधानसभा सीटों पर पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान हुआ था।

Siwan 8 assembly seats- फोटो : social media

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा के दोनों चरणों के मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बार चुनाव में रिकॉर्ड 66.91 फीसदी मतदान हुआ है। दोनों चरणों के मतदान के बाद अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी है। 14 नवंबर को फैसला होगा की किसके सिर ताज सजेगा। बिहार के 243 सीटों पर मतदान खत्म होते ही एग्जिट पोल सामने आने लगे हैं। कई एजेंसियों के एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है। एनडीए को 147 से 167 सीट तो महागठबंधन को 70 से 90 सीट मिलती दिख रही है। वहीं जनसूराज को 0-2 तो अन्य को 2-5 सीटें मिलती दिख रही है। राज्य के 46 मतगणना केंद्र पर सुबह 8 बजे से 14 नवंबर को वोटों की गिनती शुरु होगी। हम बात करते हैं राजेंद्र बाबू की धरती सीवान की। 

सीवान के 8 विधानसभा सीटों पर किसका कब्जा  

सीवान जिले में 8 विधानसभा सीट है। जिसमें सीवान जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया, गोरियाकोठी और महाराजगंज शामिल है। इन सभी विधानसभा सीटों पर पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान हुआ था। 2020 के चुनाव रिजल्ट की बात करें तो 2020 में सीवान सीट पर राजद का कब्जा रहा। यहां से राजद प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी ने जीत हासिल की थी। बड़हरिया विधानसभा सीट भी राजद के कब्जे में रहा। राजद के बच्चा पांडे यहां से जीते। दरौली भी महागठबंधन के पाले में रही यहां से सीपीआईएमएल के सत्यदेव राम की जीत हुई। रघुनाथपुर से भी महागठबंधन को ही जीत मिली थी। यहां से हरिशंकर यादव चुनाव जीते। दरौंदा का सीट एनडीए गठबंधन के पास रहा यहां से बीजेपी प्रत्याशी करनजीत सिंह(व्यास सिंह) की जीत हुई। गोरियाकोठी विधानसभा सीट भी बीजेपी के पाले में रही। यहां से बीजेपी के देवेशकांत सिंह की जीत हुई। महाराजगंज विधानसभा सीट कांग्रेस के पाले में रही यहां से विजय शंकर दुबे को जीत मिली। जीरादेई से सीपीआईएमएल उम्मीदवार अमरजीत कुशवाहा ने जीत हासिल की। यानी 2020 में महागठबंधन के पाले 6 विधानसभा सीट और एनडीए के पाले में 2 विधानसभा सीटें रही। 

2020 में महागठबंधन को मिली थी बहुमत 

यानी सीवान जिले के सभी 8 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन की स्थिति मजबूत थी। वहीं अब सबकी निगाहें टिकी है कि 2025 में सिवान जिले में किसकी स्थिति मजबूत रहती है। सिवान के सभी 8 विधानसभा सीटों पर इस बार भी कांटे की टक्कर देखने को मिल रहा है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के मुकाबले महागठबंधन अधिक सीट जीतने में सफल रहा। वहीं 2020 के मुकाबले 2025 चुनाव में एग्जिट पोल अलग संदेश दे रहा है। हमने इन 8 विधानसभा सीटों को लेकर News4nation ने वरिष्ठ पत्रकारों की राय ली। उनके अनुसार इस बार एनडीए और महागठबंधन को बराबर सीट मिल सकती है। पत्रकारों के अनुसार महागठबंधन के हिस्से में 4 तो एनडीए के हिस्से में 4 सीटें आ रही है। कुल मिलाकर अगर राजनीतिक जानकारों के आंकड़ों को देखने तो इस बार पटना में महागठबंधन को झटका लग सकता है और एनडीए अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है। 

सीवान और रघुनाथपुर में कौन आगे ?

पहले बात करते हैं सीवान और रघुनाथपुर विधानसभा सीट की। ये दोनों सीटें हॉट सीट हैं और इन दोनों ही सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। सीवान में मुख्य मुकाबला बीजेपी और राजद के बीच है। यहां से सीएम नीतीश के मंत्री मंगल पांडे बीजेपी के टिकट से पहली बार चुनावी मैदान में है। उनका मुकाबला राजद के अवध बिहारी चौधरी से है। वहीं इन दोनों एआईएमआईएम के प्रत्याशी मोहम्मद कैफ भी टक्कर दे रहे हैं। जिससे त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। 2 वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो यहां से राजद के अवध बिहारी लीड लेते दिख रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अन्य पत्रकारों की राय इससे बिल्कुल अलग है। इन दोनों के अनुसार एआईएमआईएम के प्रत्याशी मुस्लिम वोटरों का झुकाव अपनी ओर कराने में सफल हो जाते हैं तो यहां से आसानी से मंगल पांडे जीत सकते हैं। यानी दोनों प्रत्याशियों के जीतने की संभावनाएं आधी आधी है। रघुनाथपुर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां भी राजद की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। रघुनाथपुर से राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब पहली बार राजद की टिकट से मैदान में हैं। पत्रकारों की मानें तो रघुनाथपुर में एमवाई समीकरण है। यदि यादव और मुस्लिम का वोट ओसामा के साथ रहता है तो वो आसानी से जीत जाएंगे। लेकिन यदि यहां यादवों में बिखराव होता है तो फिर एनडीए की जीत हो सकती है। यहां मुख्य मुकाबला जदयू के विकास सिंह, राजद के ओसामा शहाब और जनसुराज के राहुल कीर्ति मैदान में हैं। वहीं अन्य पत्रकारों की मानें तो रघुनाथपुर में कथित तौर पर मो. शहाबुद्दीन ने 9 यादवों की हत्या की थी यह मामला ओसामा के चुनाव लड़ने से तेज है। यदि इसके कारण यादवों में बिखराव होता है तो फिर जदयू प्रत्याशी आसानी से जीत सकते हैं। इस सीट पर भी दोनों प्रत्याशियों की जीत की संभावनाएं आधी आधी है। 

दरौली, दरौंदा, जीरादेई और बड़हरिया में कौन आगे? 

अब बात करते हैं दरौली, दरौंदा, जीरादेई और बड़हरिया विधानसभा सीट का। दरौली में मुख्य लड़ाई सीपीआईएमएल सत्यदेव राम, लोजपा(रा) के विष्णु देव पासवान और जनसुराज के गणेश राम के बीच है। इस विधानसभा सीटों को लेकर सभी पत्रकारों का मत एक ही है। इस सीट पर सीपीआईएमएल के प्रत्याशी को लीड मिल रही है। वहीं दरौंदा विधानसभा सीटों की बात करें तो यहां से एनडीए को लीड मिलती दिख रही है। मुख्य मुकाबला बीजेपी के कर्णजीत सिंह, सीपीआईएमएल के अमरनाथ यादव और जनसुराज के उम्मीदवार सत्येन्द्र यादव के बीच है। पत्रकारों की इस विधानसभा सीट को लेकर भी राय एक है। इस सीट से बीजेपी की जीत हो सकती है। कर्णजीत यहां के सीटिंग विधायक हैं। जीरादेई विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला सीपीआईएमएल के अमरजीत कुशवाहा, भाजपा प्रत्याशी भीष्ण प्रताप सिंह और जनसुराज प्रत्याशी मुन्ना पांडे के बीच है। इस सीट को लेकर भी सभी पत्रकारों की राय एक की। इस सीट से सीपीआईएमएल के अमरजीत कुशवाहा लीड ले रहे हैं। अमरजीत कुशवाहा यहां से सीटिंग विधायक हैं। वहीं बड़हरिया की बात करें तो यहां मुख्य मुकाबला जदयू के इंद्रदेव सिंह, राजद के अरुण गुप्ता और जनसुराज के शाहनवाज आलम के बीच है। इस सीट पर भी कांटे की टक्कर बताई जा रही है। दरअसल राजद ने अपने सीटिंग विधायक की टिकट काट कर अरुण गुप्ता को टिकट दिया है। ऐसे में यदि जनसुराज प्रत्याशी मुस्लिम वोटरों की झुकाव अपनी ओर करने में सफल हो जाते हैं तो इसका फायदा जदयू उम्मीदवार को हो सकती है। इस सीट पर सभी पत्रकारों की सहमति एक ही है उनका कहना है कि कांटे की टक्कर तो है लेकिन अंत अंत तक सीट एनडीए के पाले में जा सकती है। 

महाराजगंज में चलेगा तीर?

अब नजर डालते हैं गोरियाकोठी और महराजगंज विधानसभा सीट पर...। गोरियाकोठी में मुख्य मुकाबला बीजेपी के देवेश कांत सिंह, राजद के अनवारुल हक और जनसुराज के एजाज अहमद सिद्दीकी के बीच है। इस विधानसभा सीट को लेकर भी सभी पत्रकारों का मत एक है। इस सीट से भी बीजेपी लीड ले रही है। यहां से बीजेपी के सीटिंग विधायक देवेश कांत सिंह चुनावी मैदान में हैं। माना जा रहा है कि देवेश कांत सिंह एक बार फिर इस सीट से जीत सकते हैं। महाराजगंज की बात की बात करें तो यहां मुख्य मुकाबला राजद के विशाल जायसवाल, जदयू के हेमनारायण शाह और जनसुराज के सुनील राय के बीच है। वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो महाराजगंज में भी कांटे की टक्कर है। विशाल जायसवाल एमएलसी विनोद जायसवाल के बेटे हैं ऐसे में उनका प्रभाव देखने को मिल रहा है। जिसके कारण यहां कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। लेकिन पत्रकारों का मत है कि अंत अंत तक इस सीट पर भी एनडीए का पताका लहर सकता है। यानी सभी पत्रकारों के आंकड़ों को देखे तो तीन वरिष्ठ पत्रकारों ने 8 विधानसभा सीटों में से 4 विधानसभा सीट पर एनडीए को बढ़त दी है तो वहीं 4 सीटों पर महागठबंधन को बढ़त दी है। हालांकि यह आंकड़ा केवल एग्जिट पोल का है तो इसे पूर्णत सत्य नहीं मान सकते। 8 विधानसभा सीट सहित 243 विधानसभा सीटों का रिजल्ट 14 नवंबर को सामने आएगा।