Jharkhand Election: 'नीतीश' के 'तीर' में ताकत नहीं...BJP के आगे बेबस बनी JDU ! सिर्फ 2 सीटों का ऑफर फिर भी कह रही- साथ लड़ेंगे, 8-6-2-0 इस तरह से खत्म हुई जदयू
Bihar/Jharkhand News: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बेबस दिख रहे हैं. सहयोगी दल भाजपा ने झारखंड चुनाव में गच्चा देने की तैयारी कर ली है. झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में जेडीयू के लिए महज 2 सीटें छोड़ने का ऐलान हो चुका है. सोमवार को झारखंड भाजपा चुनाव प्रबंध समिति की बैठक के बाद प्रदेश के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने घोषणा किया कि सहयोगी दलों के साथ सीटों पर तालमेल पूरा हो गया है.गठबंधन में आजसू को 9 से 11 सीटें मिल सकती हैं। जदयू को दो सीट देने पर सहमति बनी है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसपर अंतिम फैसला लेगा. इसके बाद भी जेडीयू कह रही है, भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. एनडीए से बाहर जाने का सवाल ही नहीं है. सीट बंटवारे को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से फाइनल बातचीत जारी है. जेडीयू किंकर्तव्यविमूढ़ है. नीतीश कुमार जानते हैं कि अकेले चुनाव लड़ने पर क्या हश्र होगा. झारखंड विस चुनाव 2014 और 2019 में अकेले लड़ी जेडीयू अपनी भद्द पिटवा चुकी है. लिहाजा इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही. नीतीश कुमार की तीर में इतनी ताकत नहीं जो पड़ोसी राज्य झारखंड में अपने दम पर चुनाव लड़ सके.
भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं-जेडीयू
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी सहयोगी दल जदयू को गच्चा देने की तैयारी में है. सोमवार को झारखंड भाजपा चुनाव प्रबंध समिति की बैठक के बाद प्रदेश के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने ऐलान किया कि सहयोगी दलों के साथ सीटों पर तालमेल पूरा हो गया है.गठबंधन में आजसू को 9 से 11 सीटें मिल सकती हैं। जदयू को दो सीट देने पर सहमति बनी है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसपर अंतिम फैसला लेगा.वहीं एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान से 16 अक्टूबर को चर्चा के बाद उनकी एक सीट तय हो सकती है. गठबंधन में महज दो सीटें मिलने के बाद जेडीयू नेतृत्व अवाक है. समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या करें.डिमांड थी कम से कम 13 सीटों की, मिला महज 2 सीट, यानि डिमांड का 20 फीसदी भी नहीं. झारखंड में सहयोगी दल भाजपा से चोट खाये जेडीयू नेतृत्व ने आज मंगलवार को आनन-फानन में बैठक बुला ली. राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के आवास पर जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। बैठक में आगे की रणनीति पर विचार हुआ. नीतीश कैबिनेट में मंत्री व झारखंड जेडीयू के प्रभारी अशोक चौधरी जब मीडिया के सामने आये तो जवाब देने में थोड़े असहज दिख रहे थे. उनसे पूछा गया कि झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है. आज आपलोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले हैं. क्या कहना है....इस पर थोड़े असहज दिखते हुए प्रभारी अशोक चौधरी ने कहा कि ''नहीं... झारखंड पे हमलोगों की चर्चा, भाजपा के साथ हमारे शीर्षस्थ नेता संजय झा जी, केंद्रीय मंत्री ललन जी सबलोग लगे हुए हैं. बात हो रही है, भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना है, कोई संदेह नहीं है, एनडीए में रहना है, इसमें भी कोई संदेह नहीं''. इसके बाद सवाल पूछा गया कि सहयोगी दल भाजपा की तरफ से दो सीटों की बात कही जा रही है, इस पर अशोक चौधरी की तरफ से जवाब मिला कि चर्चा चल रही है. पत्रकारों ने पूछा कि झारखंड जेडीयू की तरफ से डिमांड तो 13 सीटों की थी लेकिन महज 2 दिया जा रहा है, क्या नाराज है जेडीयू ? इस पर उन्होंने कहा कि किससे नाराजगी की, नारजगी की कहां बात है ? भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बात हो रही है, नतीजे पर मत पहुंचिए, शीर्षस्थ नेताओं के बीच बातचीत हो रही है.
27 जुलाई को भी नीतीश ने की थी बैठक, तब 11 सीटों पर मजबूत दावेदारी पेश की गई थी
बता दें, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 जुलाई 2024 को झारखंड में चुनाव लड़ने पर मंथन किया था. बैठक में झारखंड जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो ने मुख्यमंत्री के सामने 11 उम्मीदवारों की लिस्ट रखी थी. मुख्यमंत्री को बताया गया कि ये वो सीटें हैं जहां पार्टी का मजबूत जनाधार है. बैठक के बाद खीरू महतो ने कहा था कि जेडीयू झारखंड में भी बीजेपी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहती है. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने कम से कम 49 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे.
पड़ोसी राज्य में नीतीश के तीर में ताकत नहीं....
झारखंड के पॉलिटिकल इतिहास को देखें तो यहां जेडीयू कभी भी प्रभावशाली नहीं रही. झारखंड में जेडीयू की जमीन साल दर साल सिमटती ही गई है. बिहार से अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2000 में झारखंड जेडीयू के हिस्से में 8 विधायक आए थे. लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 8 से घटकर 6 विधायकों पर आ गई. वर्ष 2009 में तो जेडीयू दो सीटों तक सिमट गई. 2014 का विधानसभा चुनाव पार्टी अकेले लड़ी तो खाता भी नहीं खोल पाई. ज्यादातर सीटों पर दल के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गए. 2014 से पहले पार्टी बीजेपी के साथ मैदान में उतरी तो कुछ सीटें हाथ भी आईं, लेकिन अलग राह चुनने पर सूपड़ा साफ हो गया. झारखंड के गठन के बाद से सियासी जमीन तलाश रही जेडीयू 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली थी. ये सीटें थी.. बाघमारा, डाल्टनगंज, छतरपुर, देवघर, मांडू और तमाड़. कुल वोटों का मात्र 4 प्रतिशत ही मत मिला. 2009 में पार्टी 14 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ 2 छतरपुर और तमाड़ सीट जीतने में पार्टी सफल हुई। इस चुनाव में पार्टी को पिछले चुनाव की तुलना में वोट प्रतिशत में कमी आई. जदयू 2.8% पर सिमट कर रह गई। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी और खाता तक नहीं खुला. वोट मिले लगभग 1 फीसदी. 2019 में पार्टी सर्वाधिक 45 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी. इतना ही नहीं वोट प्रतिशत भी 1 फीसदी से गिरकर 0.7 फीसदी पर पहुंच गया. अधिकतर उम्मीदवार जमानत जब्त करा बैठे. अब 2024 का विधानसभा चुनाव सामने हैं. पार्टी एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है. 11 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करने की तैयारी की गई है. भाजपा के साथ सीटों का तालमेल होने का भरोसा जताया जा रहा है.