सब कोई बुझ रहा है,नीतीश को क्यो नहीं बुझा रहा, सत्ता की गति से लेकर सियासी सद्गति तक ,जानिए इनसाइड स्टोरी

पटना- लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव मे भाजपा को पटखनी देने के लिए बने 26 दलों के इंडिया महागठबंधन की तीसरी बैठक मुम्बई में है.इंडिया महागठबंधन का संयोजक बनने को लेकर घमासान मचा हुआ है. विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम शुरु की थी नीतीश कुमार ने, आज इंडिया महागठबंधन बन चुका है.ऐसे में नीतीश को संयोजक बनने का कयास था. हालाकि सीएम नीतीश ने पीएम पद और कन्वेनर बनने से इंकार कर दिया लेकिन थोड़ा सा पीछे लिए चलिए हैं. पटना की बैठक याद कीजिए, एक गठबंधन आकार लेता है, बैंग्लुरु की बैठक में नाम घोषित होता है,लक्ष्य बताया जाता है,नहीं बताया जाता तो संयोजक का नाम.फिर संयोजक के नाम पर कयासों का दौर शुरु होता है. नीतीश फिर कहते हैं कि वे कुछ नहीं बनना चाहते, इसी बीच नीतीश के खास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा था कि यूपी, बिहार और छत्तीसगढ़ में बहुत से लोग नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं. और पीएम कैंडिडेट बनने की इच्छा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इनकार कर देते हैं.
तो क्या नीतीश कुमार का यह दांव लालू यादव पर दबाव बनाने के लिए है. मुझे कन्वेनर नहीं बनना है बोलकर नीतीश कुमार ने लालू को जवाब दे दिया है. मतलब सीधा है कि कन्वेनर नहीं बनूंगा तो सीएम बना रहूंगा. और अगर नीतीश सीएम बने रहेंगे तो तेजस्वी को सीएम बनने का मौका नहीं मिलने वाला है. दरअसल लालू यादव ने जिस तरह पिछले दिनों नीतीश कुमार को अच्छे न लगने वाले बयान दिए हैं यह उसका काउंटर है. लालू यादव ने पिछले दिनों बोल दिया दिया था कि बिहार की जनता चाहती है कि तेजस्वी सीएम बने. जाहिर है कि राजनीति में नीतीश कुमार अपने जीवन भर की कमाई तेजस्वी के लिए यूं ही कुर्बान करने वाले.
बहरहाल गापालगंज में नीतीश के इंडिया गठबंधन के संयोजक बनने के कयासो के बीच लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हर राज्य के लिए एक संयोजक होगा. नीतीश से लालू के बयान के बारे में पूछा जाता है तो नीतीश का कहना था कि संयोजक एक होगा जिसकी जिम्मेवारी किसे मिलेगी ये मुम्बई बैठक में तय होगा.
इसी बीच अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने दिल्ली गए तो विपक्ष के नेताओं से मिलने भी पहुंचे.बहरहाल कांग्रेस नीतीश को संयोजक बनाने के लिए राजी भी नहीं है.
लालू के लगातार राहुल और सोनिया से बातचित के बाद भी कांग्रेस तैयार होती नहीं दिख रही है तो कारण है कि कांग्रेस को नीतीश पर भरोसा नहीं है. इसलिए तीन राज्य के लिए एक कंवेनर की चर्चा छिड़ी. बहरहाल सभी जानते हैं कि नीतीश को एक मात्र संयोजक बनाने पर कांग्रेस राजी नहीं है, लेकिन नीतीश साहब को ये बात क्यों नहीं समझ आ रही.लालू यादव ने इसका इशारा भी कर दिया है.
वहीं बिहार के पूर्व सीएम एवं हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार की ना में ही हां है. अगर वे कुछ नहीं चाहते हैं तो इतना इधर-उधर क्यों कर रहे हैं.पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने तंज कसते हुए कहा कि बेंगलुरु में उन्हें साफ रास्ता बता दिया गया था कि कौन होगा. इसलिए वे बैठक से चले आए थे, अब मुंबई में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक में क्या होगा, देखना होगा. नीतीश कुमार कहते हैं कि हम महत्वाकांक्षी नहीं है, लेकिन राजनीति की बात हमेशा उल्टी होती है, उनकी ना में ही हां है.
मांझी ने तंज कसते हुए कहा कि नीतीश की बिहार में दाल गलने वाली नहीं है, इसलिए सोच रहे हैं कि शायद वहां कुछ मौका मिल जाए, इच्छा न रहती तो इतना आगे-पीछे क्यों करते.
नीतीश कुमार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. उनकी बातों का अर्थ निकालना इतना आसान नहीं है. इसके लिए उनकी राजनीतिक यात्रा को समझना जरूरी हो जाता है. नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में जो कहा वो कभी किया नहीं और जो किया उसे कभी कहा नहीं. . बिहार विधानसभा चुनावों के बाद जब जेडीयू की कम सीटें आईं तो नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें सीएम नहीं बनना है. फिर बाद में सीएम बन गए..विधानसभा चुनावों के दौरान ही कहा था कि ये उनका अंतिम चुनाव है. पर इंडिया गठबंधन की नीतीश की तैयारी बताती है कि अभी उन्हें बहुत राजनीति करनी है.
नीतीश कुमार के बयान को समझना इतना आसान नहीं है. उनके इस बयान के पीछे क्या कोई उनकी मजबूरी है या उनकी सोची समझी रणनीति है .बहरहाल मुम्बई की इंडिया महागठबंधन की बैठक पर सबकी नजर हैं.नीतीश कुमार को विपक्ष को एकीकृत करने पर ताज मिलेगा या...क्योंकि नीतीश कुमार के लिए आगे कुंआ और पीछे खाई वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है. वो जानते हैं कि लालू यादव ने पिछले दिनों जो बयान दिए हैं वो बिल्कुल सही हैं. सही हैं. लालू यादव कभी भी नीतीश कुमार को अपने से ऊपर कद वाला नेता बनाना पसंद नहीं करेंगे. दूसरे तेजस्वी को प्रदेश के सीएम के रूप स्थापित करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. लालू यादव ने नीतीश कुमार को आगे करके उस स्थिति में पहुंचा दिया है कि जहां से अब नीतीश कुमार के लिए लौटना संभव नहीं है. भाजपा अब उन्हें भाव दे नदे नहीं रही है. पार्टी ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि फिर से एका संभव नहीं है. दूसरी ओर कांग्रेस लगातार मजबूत हो रही है इसके चलते इंडिया गठबंधन में वो खुद को जिस रोल में देख रहे थे वो मिलना अब उन्हें मुश्किल लग रहा है. इस तरह उनके सामने न आगे चलने की स्थित है न पीछे लौटने की.