अगुवानी के बाद कोईलवर पुल गिरने की आशंका, सामाजिक कार्यकर्ता ने रेल मंत्री को लिखी चिट्ठी

PATNA : खगड़िया में गंगा नदी पर बन रहे निर्माणाधीन अगुवानी पुल के गिरने के बाद से राज्य में पुराने पुलों की स्थिति पर भी लोगों की राय सामने आने लगी है. लोग अगुवानी पुल हादसे के बाद से दूसरे जर्जर पुल को लेकर बहुत चिंतित हैं. इसी क्परम में पटना और भोजपुर को जोड़ने वाली 161 साल पुराने जर्जर कोइलवर पुल की स्थिति पर भी लोग चिंता जताने लगे हैं. इसको लेकर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने रेल मंत्री को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने लिखा है कि अगर जल्द इसे नहीं बनाया गया तो बिहार में एक बड़ा रेल और सड़क हादसा हो सकता है.
सनद रहे कि ब्रिटिश राज में पटना और आरा के बीच सोन नदी पर 1862 में कोइलवर पुल बनाया गया था. कोइलवर के सोन नदी पर बना यह पुल हावड़ा- दिल्ली रूट का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुल है. हालांकि, पुल पर अब वाहनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए इसके समानान्तर दूसरी सड़क पर पुल बनाकर इस पुल का लोड कम कर दिया गया है.
दरअसल, कोईलवर के गोपाल कृष्ण ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आगाह किया है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि 161 साल पुराने इस लोहे के पुल को जल्द नहीं बनाया गया तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. उन्होंने आशंका जताई है कि सों नदी में हो रहे बालू खनन की वजह से पुल के पिलर की स्थिति जर्जर हो चुकी है. यह रेलवे का मुख्य मार्ग है. कई दर्जन ट्रेनें इस रुत पर चलती हैं. पुल की जर्जर हालत लगातार खराब होती जा रही है. अगर रेलवे इस पुल की मरम्मती और नये पुल का निर्माण नहीं करवाती है तो कभी भी कोंई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
बताते चलें कि गोपाल कृष्ण ने इससे पहले 2015 मे जब सुरेश प्रभु रेल मंत्री थे तो चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद उन्हें आश्वासन मिला था कि जल्द ही कोइलवर पुल की मरम्मती करा कर आपको सूचना दी जाएगी, लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी कोई मरम्मती का काम नहीं हुआ है. महज लोहे के पुल की रंगाई- पुताई कर खानापूर्ति की गई है.
भोजपुर जिले के कोइलवर में सोन नदी पर है. इस पुल का नाम बिहार के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी प्रोफेसर अब्दुल बारी के नाम पर रखा गया है. इस पुल को लोग अब्दुलबारी पुल के नाम से भी जानते.