Gandhi Jayanti 155th birth anniversary: महात्मा गांधी जयंती पर जाने बिहार के चंपारण सत्याग्रह की कहानी, कैसी हुई थी शुरुआत?

Gandhi Jayanti 155th birth anniversary: महात्मा गांधी जयंती पर जाने बिहार के चंपारण सत्याग्रह की कहानी, कैसी हुई थी शुरुआत?

Gandhi Jayanti special stories: चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी के राजनीतिक जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें महात्मा और बापू के रूप में पहचान दिलाई। यह वो समय था जब मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे, लेकिन भारत में अभी तक उनकी कोई खास पहचान नहीं थी। उनका महात्मा बनने का सफर अप्रैल 1917 में बिहार के चंपारण से शुरू हुआ। इस आंदोलन की नींव एक किसान राजकुमार शुक्ल ने रखी, जो अंग्रेजों के तीनकठिया कानून के खिलाफ थे, जिसके तहत किसानों को मजबूरी में नील की खेती करनी पड़ती थी।

कृष्‍ण गोखले की सलाह और गांधीजी का भारत दौरा 

जब गांधीजी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तो उनके राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले ने उन्हें सलाह दी कि वे भारत को बेहतर तरीके से समझने के लिए पूरे देश का भ्रमण करें। गोखले ने गांधी में भविष्य का एक बड़ा नेता देखा था और वे समझते थे कि गांधीजी को जमीनी हकीकत से अवगत होना जरूरी है। यह सलाह गांधीजी के जीवन और भारत की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई।

राजकुमार शुक्ल का आग्रह और चंपारण का सफर

गांधीजी से चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल ने 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन के दौरान मुलाकात की। शुक्ल ने गांधी को चंपारण के किसानों की दुर्दशा के बारे में बताया और उनसे आग्रह किया कि वे चंपारण आएं और किसानों की सहायता करें। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में लिखा है कि लखनऊ के अधिवेशन से पहले उन्हें चंपारण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। राजकुमार शुक्ल ने ही उन्हें चंपारण बुलाया और वहां की स्थिति से अवगत कराया।

नील की खेती और तीनकठिया कानून

चंपारण में उस समय अंग्रेजों ने तीनकठिया कानून लागू किया था, जिसके तहत किसानों को हर बीघे जमीन पर तीन कट्ठे जमीन में अनिवार्य रूप से नील की खेती करनी पड़ती थी। इससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता था, बल्कि उन पर अन्य कर भी थोपे जाते थे। किसानों के इस शोषण के खिलाफ राजकुमार शुक्ल ने आवाज उठाई और गांधीजी को बुलाकर इस आंदोलन को और मजबूत किया।

चंपारण में गांधीजी का सत्याग्रह

गांधीजी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान पहली बार भारत में सत्याग्रह और अहिंसा के अपने सिद्धांतों का प्रयोग किया। इस आंदोलन ने चंपारण के किसानों को 135 साल के शोषण से मुक्ति दिलाई। यह गांधीजी के राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ और उन्होंने देश की राजनीति में अपनी पहचान बनाई। चंपारण से ही गांधी का सफर महात्मा और बापू बनने की दिशा में आगे बढ़ा।

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