महागठबंधन का कौन होगा संयोजक? लालू के हाथ में होगी कमान या नीतीश के हाथ में होगी चाभी

पटना- बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल दल के नेता भले ही किसी विवाद से इनकार कर रहे हों, लेकिन जैसे ही 'नेतृत्व' या 'चेहरे' की बात की आती है, तो नेता आमने-सामने नजर आने लगते हैं. वैसे, महागठबंधन के नेताओं के लिए यह गुमान करने वाली बात है कि महागठबंधन का आकार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, यह भी तय है कि महागठबंधन के बढ़ते आकार के बाद सीट बंटवारे में भी मुश्किल होगी. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नीत महागठबंधन में शामिल कई दलों के नेताओं का कहना है कि यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होगा,
संयोजक का होगा फैसला
विपक्षी दलों की गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक मुंबई में 31 अगस्त को होने वाली है. कहा जा रहा कि इस बैठक में गठबंधन का संयोजक कौन होगा ये तय हो जाएगा.बता दें इंडिया गठबंधन की पहली बैठक पटना और दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई थी.महागठबंधन इंडिया के नेताओं के लिए 31 अगस्त को डिनर का आयोजन किया गया है. 1 सितंबर को औपचारिक बैठक होगी और इसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी.
बनेगी कमेटी
महागठबंधन इंडिया की दूसरी बैठक में मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि गठबंधन के लिए एक समिति बनेगी जिसमें 11 सदस्य होगें.कमेटी में एक चेयरमैन, एक संयोजक और 9 सदस्य शामिल होंगे. खड़गे केअनुसार समन्वय समिति ही सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार करेगी. टिकट बंटवारे में भी इस कमेटी की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. सारे विवाद सुलझाने का जिम्मा भी कमेटी के ही ऊपर होगा.
कैसे बनी विपक्षी एकता की रणनीति
याद कीजिए जुलाई 2022... राष्ट्रपति चुनाव के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला कर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप कर सीधे लालू यादव के आवास पर पहुंचते हैं. वहां पहले से राजद, कांग्रेस और माले के विधायक उपस्थित रहते है.
नीतीश ने इसी बैठक में विपक्षी एकता बनाकर पूरे देश और बिहार से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की बात करते हैं. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार लालू यादव से मिले और विपक्ष को एक करने की रणनीति बनी.
मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के सामने नीतीश कुमार ने गठबंधन का पूरा खाका रखा. सबसे पहले गठबंधन वाले राज्यों में सामान विचारधारा वाले दलों से संपर्क साधा गया. उन पार्टियों से बात शुरू की गई जो पहले कभी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में रह चुकी हैं. इनमें सीपीएम, सपा, तृणमूल और पीडीपी जैसी पार्टियां प्रमुख हैं.नीतीश कुमार सभी नेताओं से मिलने के बाद मई में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले. इस मुलाकात में विपक्षी एकता के शक्ति प्रदर्शन पर बात हुई जिसके बाद नीतीश कुमार पटना लौट आए. जून में 18 दलों को नीतीश कुमार और लालू यादव की ओर से आमंत्रण भेजा गया.पटना में मीटिंग का तर्क ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने दिया. दोनों नेताओं का कहना था कि दिल्ली में जो मीटिंग होती है, वो अपने मिशन तक नहीं पहुंच पाती है. पटना जेपी आंदोलन की भूमि है और वहां से लोकतंत्र बचाने का संदेश दिया जाएगा.
मुंबई में बैठक
नीतीश कुमार की सलाह पर ही विपक्षी मोर्चे की अगली मीटिंग मुंबई में रखी गई है. महाराष्ट्र की सियासत में पिछले साल से ही उथल-पुथल मची हुई है. शिवसेना के बाद हाल ही में एनसीपी में टूट गई है.
लालू क्यों नहीं बनना चाहते संयोजक
विपक्षी मोर्चे में सपा, तृणमूल जैसे दलों को जोड़ने में लालू प्रसाद का रोल अहम है. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को विपक्षी मोर्चे में संयोजक का पद मिल सकता है. लालू विपक्ष के सबसे बडे नेताओं में शुमार है. लालू का कद बड़ा है. ऐसे में कन्वेनर उन्हें बनने की बाच तल रही थी. दरअसल सूत्रों के अनुसार कांग्रेस चाहती है कि लालू संयोजक बनें लेकिन लालू स्वास्थ्य और राजनीतिक कारणों से संयोजक का पद नहीं लेना चाहते . लालू नीतीश कुमार को संयोजक का पद देने को कह रहे है. यानी नीतीश के नाम की घोषणा अब मुंबई की बैठक में हो सकती
नीतीश को संयोजक बनाने के पीछ लालू की मंशा हो सकती है कि नीतीश केंद्र की राजनीति करें और बिहार की बागडोर उनके पुत्र तेजस्वी संभाल लें.अगर ऐसा होता है तो लालू का सपना साकार हो जाएगा. अब देखना है कि मुंबई की इं़िया की बैठक में लालू का सपना साकार होता है या नहीं.