Maha Kumbh 2025: 40 करोड़ लोगों की सुरक्षा इनके हाथों में, महाकुंभ लगने वाली जगह को 4 महीने लिए बनाया गया जिला, इन्हें बनाया गया SSP...
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का आयोजन 12 साल में होता है। इस बार 13 जनवरी से महाकुंभ मेला शुरु होगा। कुंभ मेला को लेकर तैयारियां जारी है। इसी बीच कुंभनगरी को यूपी प्रशासन के द्वारा 4 महीनों के लिए जिला घोषित कर दिया है। यहां नए एसएसपी बने हैं।
Maha Kumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। इस साल करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इस विशाल आयोजन को देखते हुए कुंभ नगरी को 4 महीने के लिए एक अलग जिला घोषित किया गया है। वहीं अब देश भर के लोगों की नजर महाकुंभ पर टिकी है। नए जिले में सुरक्षा के लिए डीएम और एसएसपी ती तैनाती की गई है।
IPS राजेश द्विवेदी बनाए गए SSP
आईपीएस राजेश द्विवेदी को इस नए जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। मिर्जापुर के रहने वाले द्विवेदी वर्ष 1992 से पुलिस सेवा में हैं। उन्होंने पीसीएस परीक्षा पास कर अपना करियर शुरू किया था। द्विवेदी ने प्रयागराज से अपनी पढ़ाई पूरी की है और उनके पास एमबीए की डिग्री भी है। 2013 में उन्हें आईपीएस पद मिला।
महाकुंभ सुरक्षा की मिली जिम्मेदारी
द्विवेदी ने हरदोई और रामपुर जिलों में भी पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया है। 2021 में उन्हें हरदोई जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया गया। 2023 में वो रामपुर के एसपी बने। उन्हें एसटीएस और एसटीएफ टीम का भी अनुभव है। 21 जून 2024 से वे प्रयागराज में तैनात थे और अब उन्हें महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
13 जनवरी से होगा महाकुंभ का आयोजन
दरअसल, संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी के संगम तट पर 13 जनवरी 2025 में विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले का आयोजन हो जा रहा है। महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक ऐसा पर्व है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। इस आयोजन का समापन 26 फरवरी को होगा।
12 साल में होता है आयोजन
बता दें कि, प्रत्येक 12 साल में होने वाला यह मेला गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम तट पर लगता है। मान्यता है कि इस दौरान संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज के साथ 4 अन्य स्थानों पर भी कुंभ मेला का आयोजन होता है। जिसमें हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल। जिनमें प्रयाग गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर और हरिद्वार गंगा नदी के किनारे हैं, वहीं उज्जैन शिप्रा नदी और नासिक गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है। यह चारों स्थल पौराणिक कथाओं और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर चुने गए हैं।