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India State Debt: सामने आ गया देश के टॉप 10 स्टेट के कर्जों की लिस्ट! तामिलनाडु, महाराष्ट्र का पता चल गया नंबर ,जानें बिहार का क्या है स्थान,

भारतीय राज्यों का कर्ज पिछले 5 वर्षों में 74% बढ़कर 83.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र सबसे ज्यादा कर्ज वाले राज्य हैं। जानें किस राज्य पर कितना कर्ज है और कर्ज-GSDP अनुपात के बारे में।

India State Debt: सामने आ गया देश के टॉप 10 स्टेट के कर्जों की लिस्ट! तामिलनाडु, महाराष्ट्र का पता चल गया नंबर ,जानें बिहार का क्या है स्थान,
India State Debt- फोटो : SOCIAL MEDIA

India State Debt: भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का कर्ज पिछले पांच सालों में तेजी से बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में राज्यों का कुल बकाया कर्ज 47.9 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024 तक बढ़कर 83.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह वृद्धि 74% है, जिसका सबसे अधिक योगदान बड़े राज्यों जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र का है।

कर्ज वृद्धि के कारण

राज्यों का कर्ज बढ़ने के पीछे आर्थिक चुनौतियाँ मुख्य कारण हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए राज्यों को अधिक उधार लेना पड़ा। राज्यों की विकास योजनाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं, और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए उधार का सहारा लेना अनिवार्य हो गया, जिससे कर्ज का स्तर तेजी से बढ़ा।

2024 में कर्ज के टॉप 10 राज्य

2024 में सबसे अधिक कर्ज वाले राज्यों की सूची में तमिलनाडु सबसे ऊपर है, जबकि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। टॉप 10 राज्यों पर कर्ज की स्थिति इस प्रकार है:

रैंक    राज्य    कर्ज (लाख करोड़ रुपये में)

1    तमिलनाडु    8.3

2    उत्तर प्रदेश    7.7

3    महाराष्ट्र    7.2

4    पश्चिम बंगाल    6.6

5    कर्नाटक    6.0

6    राजस्थान    5.6

7    आंध्र प्रदेश    4.9

8    गुजरात    4.7

9    केरल    4.3

10    मध्य प्रदेश    4.2

पिछले पांच वर्षों में कर्ज की रफ्तार

पिछले पांच वर्षों में कर्ज की वृद्धि दर राज्यों में अलग-अलग रही है। मध्य प्रदेश में कर्ज में सबसे अधिक 114% की वृद्धि देखी गई, जबकि कर्नाटक और तमिलनाडु में कर्ज 109% और 108% बढ़ा। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश में सबसे कम 35% की वृद्धि दर्ज की गई।

राज्य    2019 का कर्ज (लाख करोड़ रुपये में)    2024 का कर्ज (लाख करोड़ रुपये में)    वृद्धि (%)

मध्य प्रदेश    2.0                                                                    4.2                                      114%

कर्नाटक    2.9                                                                     6.0                                         109%

तमिलनाडु    4.0                                                                  8.3                                          108%

आंध्र प्रदेश    2.6                                                                 4.9                                           84%

राजस्थान    3.1                                                                  5.6                                            80%

केरल    2.4                                                                       4.3                                             76%

महाराष्ट्र    4.4                                                                   7.2                                               65%

उत्तर प्रदेश    5.7                                                               7.7                                               35%

कर्ज का GSDP अनुपात

राज्यों के कर्ज को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के अनुपात में मापा जाता है, जो उनके कर्ज के बोझ को दर्शाता है। सबसे कम कर्ज-GSDP अनुपात वाला राज्य महाराष्ट्र है, जिसका अनुपात 18% है। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल का कर्ज-GSDP अनुपात सबसे अधिक 39% है।

राज्य           कर्ज-GSDP अनुपात (%)

महाराष्ट्र             18%

कर्नाटक           24%

उत्तर प्रदेश       30%

तमिलनाडु       31%

मध्य प्रदेश      31%

आंध्र प्रदेश     34%

केरल            37%

राजस्थान        37%

पश्चिम बंगाल    39%

राज्यों का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP)

महाराष्ट्र 40.44 लाख करोड़ रुपये के GSDP के साथ भारत का सबसे बड़ा आर्थिक केंद्र बना हुआ है। इसके बाद तमिलनाडु 27.22 लाख करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश 25.48 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

भविष्य की चुनौतियां और समाधान

कई राज्यों के कर्ज का स्तर उनके GSDP के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है, जो उनकी विकास योजनाओं और वित्तीय स्थिति पर दबाव डाल सकता है। राज्य सरकारों को अब खर्चों पर नियंत्रण रखने और राजस्व बढ़ाने के उपाय करने होंगे ताकि वे इस बढ़ते कर्ज के बोझ से निपट सकें।

पिछले पांच सालों में तेजी से बढ़ा कर्ज

भारतीय राज्यों का कर्ज पिछले पांच सालों में तेजी से बढ़ा है, जिसका प्रमुख कारण आर्थिक चुनौतियाँ और राज्यों की अधिक उधारी है। यह कर्ज राज्यों के विकास और वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। राज्यों को अपने खर्चों को नियंत्रित करने और राजस्व बढ़ाने के उपायों पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे इस बढ़ते कर्ज के दबाव से उबर सकें।

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