India Pakistan: ISI के छल-छद्म की छाया में ज्योति मल्होत्रा से देवेंद्र सिंह तक, भारत में फैले पाकिस्तानी जासूसों का मायाजाल, अब पुलिस डंडे से करने लगी इलाज
India Pakistan:जिन चेहरों पर कभी विश्वास का उजाला था, वे अचानक विश्वासघात के अंधकार में बदल गए। चाहे वह ज्योति मल्होत्रा जैसी चर्चित शख्सियत की संदिग्ध भूमिका हो या देवेंद्र सिंह जैसा वर्दीधारी अधिकारी....

India Pakistan: भारतवर्ष, जहां एक ओर योग, यज्ञ और यश की परंपराएँ गूंजती हैं, वहीं दूसरी ओर अंधकार के गलियारों में षड्यंत्र की ऐसी परछाइयाँ भी पसरी हुई हैं, जो राष्ट्र की आत्मा को भीतर से कुरेदने का दुस्साहस करती हैं। इन्हीं परछाइयों में छिपे रहते हैं वे तत्व, जो वतन की रेत में दुश्मन की नापाक साँसें बोने का काम करते हैं—पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने वाले भारतीय चेहरे।
जिन चेहरों पर कभी विश्वास का उजाला था, वे अचानक विश्वासघात के अंधकार में बदल गए। चाहे वह ज्योति मल्होत्रा जैसी चर्चित शख्सियत की संदिग्ध भूमिका हो या देवेंद्र सिंह जैसा वर्दीधारी अधिकारी, जिन्होंने अपने पद और प्रतिष्ठा का उपयोग राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए किया—इन घटनाओं ने जनमानस को चौंका कर रख दिया।
ज्योति मल्होत्रा:
ज्योति मल्होत्रा का नाम उस संदर्भ में सामने आया जब उनकी कुछ गतिविधियों पर संदेह व्यक्त किया गया। राष्ट्र की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता इस बात का संकेत देती है कि शब्दों का जाल भी कभी-कभी जासूसी के चक्रव्यूह का हिस्सा बन सकता है। वह 'ट्रैवल विद जो' नामक एक यूट्यूब चैनल चलाती है, और हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी एजेंटों के संपर्क में थी, लेकिन उसके पास रक्षा से संबंधित किसी भी जानकारी तक सीधी पहुँच नहीं थी। इस प्रभावशाली व्यक्ति के यूट्यूब पर 3.85 लाख सब्सक्राइबर हैं, जो पहलगाम आतंकी हमले से पहले तीन बार - 2023, 2024 और मार्च 2025 में - पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है। पाकिस्तानी उच्चायोग के एक कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में आई थी, जिसे हाल ही में भारत ने निष्कासित कर दिया था। वह वर्तमान में पाँच दिन की पुलिस रिमांड पर है।
देवेंद्र सिंह:
जम्मू-कश्मीर पुलिस का उच्चाधिकारी रहकर, जिस देवेंद्र सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था की धुरी थामी थी, वही आतंकियों को पनाह देने, हथियार मुहैया कराने और साजिशों को आगे बढ़ाने का माध्यम बना। पुलवामा हमले की छाया में उसका नाम आया तो सारा देश स्तब्ध रह गया। वर्दी की मर्यादा को रौंदते हुए उसने जो पथ चुना, वह न केवल राष्ट्रद्रोह का प्रतीक था, बल्कि विश्वास की संपूर्ण प्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न भी।पुलिस ने कहा कि उसने पटियाला सैन्य छावनी की तस्वीरों सहित आईएसआई एजेंटों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा की थी। देवेंदर सिंह ने कथित तौर पर गिरफ्तारी के समय फेसबुक पर पिस्तौल और बंदूकों की तस्वीरें अपलोड की थीं। पूछताछ के दौरान पता चला कि वह पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान गया था।
देश की रक्षा:
जासूसी केवल सूचनाओं की चोरी नहीं होती, यह विश्वास के कांच को चकनाचूर करने की प्रक्रिया है। जब अपने ही घर के दीपक अंधकार फैलाने लगें, तब राष्ट्र को केवल सीमाओं पर ही नहीं, घर की दीवारों पर भी प्रहरी नियुक्त करने पड़ते हैं।भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने समय-समय पर सतर्कता दिखाकर अनेक ऐसी साजिशों को विफल किया है जो राष्ट्र की एकता व अखंडता को तोड़ने के लिए रची गई थीं। लेकिन इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि दुश्मन अब गोली या बम से नहीं, बल्कि कलम, कूटनीति और विश्वास की चादर में लिपटे छल से वार कर रहा है।
वर्तमान समय में राष्ट्रभक्ति केवल सीमा पर युद्ध लड़ने तक सीमित नहीं है, यह हर नागरिक की सतर्कता, विवेक और सजगता में बसती है। हमें चाहिए कि हम न केवल बाहरी शत्रुओं से, बल्कि आंतरिक विश्वासघातियों से भी अपने देश की रक्षा करें।इस मायाजाल को समझना और उजागर करना आज की सबसे बड़ी देशसेवा है—क्योंकि जब सच सामने आता है, तभी झूठ की अंधकारमय सत्ता ढहती है।