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Valentine love story: एक साइकिल की बदौलत प्रेमी को मिली उसकी मोहब्बत! जानें प्रद्युम्न कुमार ने 6000 किमी का सफर तय कर प्यार की तलाश में पहुंच गया स्वीडन

उड़ीसा के प्रद्युम्न कुमार महानंदिया ने 6000 किमी साइकिल चलाकर अपने प्रेम को पाने के लिए स्वीडन का सफर तय किया। जानिए कैसे उन्होंने प्रेम की अद्वितीय मिसाल पेश की।

 Valentine love story: एक साइकिल की बदौलत प्रेमी को मिली उसकी मोहब्बत! जानें प्रद्युम्न कुमार ने 6000 किमी का सफर तय कर प्यार की तलाश में पहुंच गया स्वीडन
Valentine love story- फोटो : social media

Valentine love story: प्रेम न सीमाओं को जानता है और न ही दूरियों को। सच्चे प्रेम की मिसालें अक्सर प्रेरणा बनती हैं और ऐसी ही एक प्रेरणादायक प्रेम कहानी है प्रद्युम्न कुमार महानंदिया की। उड़ीसा में जन्मे एक साधारण लड़के प्रद्युम्न ने अपने सच्चे प्रेम को पाने के लिए 6000 किमी की साइकिल यात्रा की, जो आज भी सच्चे प्रेम की एक अद्भुत मिसाल बनी हुई है।

प्रद्युम्न कुमार महानंदिया: एक साधारण लड़का, बड़ी सपने

प्रद्युम्न कुमार महानंदिया उड़ीसा के एक गरीब परिवार में जन्मे थे, लेकिन उनकी कला अद्वितीय थी। वह एक उत्कृष्ट चित्रकार थे, जिन्होंने 1971 में दिल्ली में कला की पढ़ाई शुरू की। दिल्ली के कनाट प्लेस में बैठकर वे लोगों के चित्र बनाया करते थे। एक दिन एक गोरी विदेशी महिला चित्र बनवाने आई, जिसका नाम शेर्लोट था। शेर्लोट को देखते ही प्रद्युम्न को उस ज्योतिषी की भविष्यवाणी याद आई, जिसने उनके जन्म के समय कहा था कि उनकी शादी एक वृषभ राशि की विदेशी लड़की से होगी, जो बांसुरी बजाना जानती होगी और एक जंगल की मालकिन होगी।

प्रेम की शुरुआत: शेर्लोट से मुलाकात

जब प्रद्युम्न ने शेर्लोट को देखा, तो उन्हें यह अहसास हुआ कि ज्योतिषी की भविष्यवाणी सच हो रही है। कुछ मुलाकातों के बाद उन्हें पता चला कि शेर्लोट सच में बांसुरी बजाना जानती थी और स्वीडन में एक जंगल की मालिकन थी। मुलाकातें धीरे-धीरे प्यार में बदल गईं और दोनों ने एक-दूसरे से अपने प्रेम का इज़हार किया।

लेकिन प्रेम के रास्ते में कठिनाइयाँ अक्सर आती हैं। शेर्लोट को वापस स्वीडन जाना था। उसने प्रद्युम्न से कहा कि वह उसके साथ चले, लेकिन प्रद्युम्न की पढ़ाई अधूरी थी। प्रद्युम्न ने वादा किया कि वह एक दिन ज़रूर स्वीडन आएगा।

6000 किमी साइकिल पर सवार होकर स्वीडन की यात्रा

शेर्लोट स्वीडन वापस चली गईं, लेकिन प्रद्युम्न ने अपना वादा नहीं भुलाया। पढ़ाई पूरी करने के बाद, प्रद्युम्न ने स्वीडन जाने का संकल्प लिया। लेकिन उनके पास हवाई जहाज का टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। तब प्रद्युम्न ने एक पुरानी साइकिल खरीदी, 200 रुपये अपनी जेब में रखे, और निकल पड़े 6000 किमी लंबे सफर पर।

प्रद्युम्न ने हर रोज़ 45 मील साइकिल चलाई। उनके पास पैसे तो नहीं थे, लेकिन उनकी कला ने उन्हें रास्ते में भोजन और रुकने की व्यवस्था करने में मदद की। उन्होंने लोगों के चित्र बनाए और उसी से अपने खाने और ठहरने का इंतजाम किया। 22 जनवरी 1977 को शुरू हुई यह यात्रा 5 महीने बाद 28 मई 1977 को समाप्त हुई, जब वह स्वीडन पहुंचे और शेर्लोट से मिले।

प्रेम की जीत: शादी और जीवन की नई शुरुआत

प्रद्युम्न ने अपनी प्रेम की परीक्षा पास कर ली थी। शेर्लोट ने उनके साहस और प्रेम की सच्चाई को देखते हुए उनसे शादी कर ली। यह प्रेम कहानी न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हो गई। उनकी शादी को आज 40 साल से भी अधिक हो गए हैं और वे आज भी एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

प्रेम की अद्वितीय मिसाल

प्रद्युम्न कुमार महानंदिया की यह प्रेम कहानी इस बात की मिसाल है कि सच्चा प्रेम किसी भी सीमा, समय और कठिनाई से परे होता है। यह कहानी बताती है कि जब प्रेम सच्चा हो, तो व्यक्ति किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है। प्रद्युम्न ने साबित किया कि प्यार न सिर्फ दिल की बात होती है, बल्कि उस पर चलने के लिए साहस और समर्पण की भी ज़रूरत होती है।

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