Ram Rahim : बलात्कार के दोषी राम रहीम पर खूब मेहरबान है भाजपा सरकार ! 21 दिन का दिया फरलो तो गुस्साए लोगों ने कहा- हमेशा के लिए रिहा कर दो
बलात्कार के दोषी राम रहीम पर को एक बार फिर से जेल से बाहर आने की अनुमति देने से हरियाण की भाजपा सरकार विरोधियों के निशाने पर है.

Ram Rahim: रेप के दोषी राम रहीम पर हरियाणा की भाजपा सरकार की मेहरबानी बरकरार है. सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को हरियाणा सरकार ने दी फिर 21 दिन की फरलो दे दी है. बुधवार को राम रहीम जेल से बाहर भी आया जिसे रिसीव करने खुद हनी प्रीत पहुंचीं. इस बार राम रहीम सिरसा डेरा में रहेगा. राम रहीम वर्ष 2017 से रोहतक की सुनारिया जेल में दो साध्वियों के साथ रेप और पत्रकार छत्रपति हत्या के मामले में सजा काट रहा है.
हालाँकि जब से उसे सजा मिली है वह कई बार पेरोल और फरलो का लाभ लेकर जेल से बाहर आता रहा है. सूत्रों के अनुसार 29 अप्रैल को सिरसा डेरे का स्थापना दिवस है. इसी को लेकर इस बार वह फरलो पर जेल से बाहर आया है. डेरे के स्थापना दिवस को मनाने को लेकर राम रहीम ने फरलो के लिए अर्जी लगाई थी. जिसको हरियाणा सरकार ने मंजूर करते हुए उसे 21 दिन की फरलो दी है.
राम रहीम पर हरियाणा सरकार की मेहरबानी को इसी से समझा जा सकता है कि वह भले ही हत्या और रेप का दोषी हो लेकिन उसे 13 बार पेरोल और फरलो मिल चुकी है. यहां तक कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम 30 दिन की पैरोल मिली थी. इसके पहले पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक दो हफ्ते पहले ने आलोचना को जन्म दिया.
हरियाणा सरकार की आलोचना
राम रहीम को हर कुछ महीने में मिलने वाले पेरोल और फरलो को लेकर हरियाणा सरकार आलोचना से घिरी है. एक ओर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इसे लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की है, तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी बीजेपी सरकार अपने फैसले को लेकर आलोचना में घिरी है. पत्रकार प्रभाकर कुमार मिश्रा ने लिखा है, 'एक बात समझ में नहीं आ रही कि हरियाणा सरकार राम रहीम को हमेशा के लिए रिहा क्यों नहीं कर देती? क़ानून में प्रावधन तो है सजा माफ़ी का! बार बार जेल भेजने और जेल से रिहा करने की तकलीफ़ क्यों उठा रही है!'
क्या है पैरोल और फरलो में अंतर
किसी कैदी को फरलो तब दी जाती है जब उसे पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करनी होती है। एक कैदी को साल भर में तीन बार फरलो दिया जा सकता है। कैदी को उसके अच्छे आचरण- व्यवहार को देखकर फरलो दी जाती है। कैदी को फरलो में कोई ठोस वजह बताने की भी जरुरत नहीं पड़ती। वहीं, पैरोल किसी कैदी को बीमारी, विवाह, परिवार के किसी सदस्य की मौत या अन्य पर्याप्त कारणों के आधार पर दी जाती है। पैरोल की अवधि कैदी की सजा में गिनी जाती है।