लौरिया विधानसभा सीट: विनय बिहारी की पकड़ या विपक्ष का उभार? 2025 में दिलचस्प होगा मुकाबला

लौरिया, पश्चिम चंपारण | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच पश्चिम चंपारण की लौरिया विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 05) राजनीतिक चर्चाओं में तेजी से उभर रही है। यह सीट जहां एक ओर भाजपा विधायक विनय बिहारी के मजबूत किले के रूप में देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे बदलाव की संभावनाओं वाली ज़मीन मानकर सक्रिय हो गया है।
विनय बिहारी का लौरिया की राजनीति में वर्चस्व बीते एक दशक से अधिक समय से बना हुआ है। उन्होंने 2010 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर सभी को चौंकाया था। इसके बाद 2015 और 2020 में भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर उन्होंने अपनी पकड़ को और मजबूत किया। 2020 चुनाव में विनय बिहारी को 77,927 वोट (49.48%) मिले, जबकि राजद के शंभू तिवारी को 48,923 वोट (31.06%) प्राप्त हुए। 2015 में उन्होंने 57,351 वोट (40.47%) के साथ जीत हासिल की, जबकि दूसरे नंबर पर रहे रण कौशल प्रताप सिंह को 39,778 वोट (28.07%) मिले थे। 2010 में, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीतते हुए उन्होंने 38,381 वोट (33.44%) हासिल किए थे।
इन नतीजों से साफ है कि विनय बिहारी ने तीनों बार अलग-अलग स्थितियों में चुनाव जीतकर खुद को एक मजबूत जनाधार वाला नेता सिद्ध किया है।
लौरिया सीट का जातीय समीकरण बेहद पेचीदा है। यहां मुस्लिम (16.8%) और यादव समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा कोइरी, ब्राह्मण, भूमिहार, और राजपूत मतदाताओं की भी उल्लेखनीय संख्या है। जातीय विविधता और मतदाताओं का बिखराव कई बार अप्रत्याशित नतीजे भी दे सकता है। विशेष बात यह है कि ग्रामीण आबादी यहां लगभग 100% है, और SC मतदाता 13.3% तथा ST मतदाता 1.43% हैं। ये आंकड़े यह दिखाते हैं कि जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधे बिना कोई भी प्रत्याशी यहां फतह नहीं पा सकता।
पिछले चुनावों में विकास, सड़क, बिजली, शिक्षा और ग्रामीण बुनियादी सुविधाएं प्रमुख मुद्दे रहे हैं। हालांकि, स्थानीय स्तर पर कुछ मतदाताओं में रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर असंतोष भी देखा गया है। वहीं विपक्ष इस बार इन अधूरी उम्मीदों को हथियार बनाकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है।
भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है, जबकि राजद और अन्य विपक्षी दल इसे जीतकर भाजपा के गढ़ में सेंध लगाना चाहते हैं। बदलते जातीय समीकरण, अधूरी उम्मीदें और विपक्ष की आक्रामक रणनीति — ये सब मिलकर लौरिया को 2025 में एक हॉट सीट बना रहे हैं।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या विनय बिहारी चौथी बार भी लौरिया की जनता का भरोसा जीत पाएंगे या कोई नया चेहरा उभरेगा?