Bootan Chaudhary Arrest: बूटन चौधरी मुम्बई से गिरफ्तार, रणवीर सेना का कुख्यात कमांडर बिहार STF के हत्थे चढ़ा

Bootan Chaudhary Arrest: बिहार का कुख्यात अपराधी और रणवीर सेना का पूर्व एरिया कमांडर बूटन चौधरी आखिरकार STF की गिरफ्त में आ गया।

Ranveer Sena s notorious commander Bootan Chaudhary
बूटन चौधरी को बिहार पुलिस ने मुम्बई से किया गिरफ्तार- फोटो : Hiresh Kumar

Bootan Chaudhary Arrest:  बिहार का कुख्यात अपराधी और रणवीर सेना का पूर्व एरिया कमांडर बूटन चौधरी आखिरकार STF की गिरफ्त में आ गया। शनिवार रात बिहार STF ने उसे महाराष्ट्र के मुंबई से दबोच लिया। उस पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित था। बूटन चौधरी की गिरफ्तारी ने एक बार फिर से बेलाउर पंचायत और उसके आसपास के इलाके में सनसनी फैला दी है।

बता दें बूटन चौधरी पर पांच से अधिक गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं।तीन महीने पहले ही वह बीडीसी सदस्य दीपक साह की हत्या के मामले में जेल से बाहर आया था।2016 में भी बूटन चौधरी AK-47 और पिस्तौल के साथ पकड़ा गया था। उस समय पंचायत चुनाव में वर्चस्व दिखाने के लिए उसने हथियारों का खुलेआम प्रदर्शन किया था।

उस केस में कोर्ट ने बूटन को सात साल की सजा और उपेंद्र को तीन साल की सजा सुनाई थी।

बूटन चौधरी इलाके में AK-47 और आधुनिक हथियारों के शौक़ के लिए कुख्यात रहा है। आरा और आसपास के इलाकों में उसका नाम दहशत का पर्याय बन चुका था। ग्रामीणों के मुताबिक पंचायत चुनाव से लेकर आपसी विवाद तक, बूटन अक्सर हथियारों के दम पर वर्चस्व जमाने की कोशिश करता रहा।

बूटन चौधरी के लगातार फरार रहने और कई वारदातों में संलिप्त पाए जाने के बाद पुलिस मुख्यालय ने उसके खिलाफ ₹2 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। STF की टीम ने गुप्त सूचना पर मुंबई में उसे गिरफ्तार किया। वहीं भोजपुर पुलिस ने बेलाउर गांव में छापेमारी कर उसके घर से हथियारों का जखीरा बरामद किया।

बूटन चौधरी और उसके भाई उपेंद्र के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की गई है। दोनों पर हत्या, गोलीबारी और अवैध हथियार रखने जैसे कई संगीन आरोप हैं। पुलिस का कहना है कि अब बेलाउर पंचायत और आसपास के इलाके से “हथियार और आतंक की राजनीति” का सफाया किया जाएगा।

बूटन चौधरी की गिरफ्तारी केवल एक कुख्यात अपराधी की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह उस सियासी-अपराधिक गठजोड़ पर भी करारा प्रहार है, जिसने पंचायतों से लेकर विधानसभा तक बिहार की राजनीति को लंबे समय से प्रभावित किया है।AK-47 और ग्रेनेड के साथ मुखिया परिवार की संलिप्तता ने यह सवाल फिर से खड़ा कर दिया है—क्या पंचायत चुनाव महज लोकतंत्र की बुनियाद हैं, या फिर बंदूक की नली से निकली ताक़त का खेल?