नौतन विधानसभा सीट: जातीय जटिलताओं, बदले समीकरणों और अधूरी उम्मीदों की सियासी जमीन

Nautan Assembly Seat

नौतन, पश्चिम चंपारण | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की हलचल के बीच नौतन विधानसभा क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र संख्या: 06) एक बार फिर सियासी चर्चाओं का केंद्र बन गया है। यह सीट, जिसे कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था, अब लगातार बदलते राजनीतिक समीकरणों और जातीय समीकरणों के चलते एक दिलचस्प मुकाबले का मैदान बन चुकी है। 1951 से लेकर 1985 तक कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा था। लेकिन 1990 के बाद से कांग्रेस के लिए नौतन की राह मुश्किल होती चली गई। पिछले छह विधानसभा चुनावों में से चार बार यह सीट जेडीयू और उसकी मूल पार्टी समता पार्टी के खाते में गई है। हालांकि 2009 और 2015 में जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा।

नारायण प्रसाद का नाम पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर प्रमुखता से जुड़ा रहा है। 2010 में वे एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए, लेकिन 2015 और 2020 में भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की और सीट पर मजबूत पकड़ बनाई। 2020 में, नारायण प्रसाद ने 78,657 वोट (46.97%) पाकर जीत हासिल की। कांग्रेस के शेख मोहम्मद कमरान को 52,761 वोट (31.51%) मिले। 2015 में, उन्होंने 66,696 वोट (44.35%) पाकर जेडीयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो को हराया, जिन्हें 52,362 वोट (34.82%) मिले। 2010 में, जेडीयू की मनोरमा प्रसाद ने चुनाव जीतते हुए 40,894 वोट (36.48%) हासिल किए थे, जबकि नारायण प्रसाद (एलजेपी) को 18,130 वोट (16.17%) मिले थे।

नौतन विधानसभा क्षेत्र का जातीय संतुलन चुनावों की दिशा तय करता है। यहां मुस्लिम (17.3%) और यादव समुदाय की अच्छी खासी आबादी है — जो आमतौर पर राजद का कोर वोट बैंक माने जाते हैं। इसके बावजूद राजद को यहां अब तक जीत नहीं मिल पाई, जो क्षेत्र के सियासी जटिलताओं को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त कोइरी, कुर्मी और रविदास समुदाय भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही जातीय विविधता चुनावी मुकाबले को अनिश्चित और रोचक बना देती है।

2011 की जनगणना के अनुसार नौतन की कुल आबादी में से लगभग 98.45% ग्रामीण मतदाता हैं, जबकि शहरी मतदाता सिर्फ 1.56% हैं। अनुसूचित जाति के मतदाता 12.45% और अनुसूचित जनजाति के मतदाता 0.66% हैं। 2020 के चुनावों में जिन मुद्दों ने लोगों को सबसे अधिक प्रभावित किया, उनमें बाढ़ विस्थापन, जल विद्युत परियोजना में ठहराव, तटबंधों की मरम्मत, और जर्जर सड़कें प्रमुख रहे। इन मुद्दों को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी भी देखी गई थी, जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

नौतन में भाजपा के नारायण प्रसाद को लगातार दूसरी बार जीत मिलने के बावजूद कांग्रेस और राजद अब भी यहां से उम्मीदें लगाए बैठे हैं। जातीय समीकरण, अधूरी विकास योजनाएं और जनता की अपेक्षाएं — इन सभी के बीच यह सीट 2025 के चुनाव में एक निर्णायक मोड़ बन सकती है।

अब देखना ये है कि क्या नौतन एक बार फिर भाजपा को मौका देगा, या इस बार कोई नया चेहरा जनता की कसौटी पर खरा उतरेगा?